Delhi Ordinance Row: अखिलेश यादव ने CM केजरीवाल का किया समर्थन, बोले- केंद्र का अध्यादेश लोकतंत्र के खिलाफ है

Edited By Mamta Yadav,Updated: 07 Jun, 2023 11:58 PM

akhilesh supported cm kejriwal said center s ordinance is against democracy

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को घोषणा की कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण संबंधी केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) का समर्थन करेगी। इससे पूर्व ‘आप' के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब...

लखनऊ, Delhi Ordinance Row: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को घोषणा की कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण संबंधी केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) का समर्थन करेगी। इससे पूर्व ‘आप' के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अखिलेश यादव से उनके पार्टी कार्यालय में मुलाकात की जिसके बाद उन्होंने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
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केजरीवाल ने इस संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ चर्चा की और हम उनका धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने हमें आश्वस्त किया है कि वे राज्यसभा में हमारा समर्थन करेंगे। सपा प्रमुख ने आप को समर्थन देने का आश्वासन दिया और इस अध्यादेश को लोकतंत्र विरोधी करार दिया।'' दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलकर राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण संबंधी केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ उनका समर्थन मांगा और बताया कि अखिलेश ने उनसे कहा, “मेरी पार्टी आपके साथ है।” अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘यह अध्यादेश लोकतंत्र विरोधी है और इसकी मंशा लोकतंत्र विरोधी है। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि समाजवादी पार्टी इस मामले में आपका पूरा समर्थन करती है।''
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अखिलेश ने कहा, ‘‘शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आप जो कार्य कर रहे हैं, भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) को वह रास नहीं आ रहा है। यह भाजपा ही है जो इस देश में अच्छे कार्यों को बर्बाद कर रही है और वे आपके काम से परेशान हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि दिल्ली के लोग भाजपा का सफाया कर देंगे।'' केजरीवाल गैर भाजपा पार्टियों का समर्थन क्यों हासिल कर रहे हैं, इस सवाल पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि जब संसद में यह अध्यादेश आएगा तो लोकसभा में भाजपा का बहुमत है लेकिन राज्यसभा में उसके केवल 93 सदस्य हैं। यदि सभी गैर भाजपा दल एकजुट होते हैं तो यह अध्यादेश गिराया जा सकता है, यह 2024 (लोकसभा चुनाव) का ‘सेमीफाइनल' होगा। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय अवकाश के बाद खुलने पर इस मुद्दे पर फिर उससे संपर्क किया जाएगा। केजरीवाल ने कहा, ‘‘यदि राज्यसभा में यह अध्यादेश गिर जाता है तो इससे 2024 के चुनाव से पूर्व एक बड़ा संदेश जाएगा।'' यह पूछे जाने पर क्या इस बैठक में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी चर्चा हुई तो केजरीवाल ने कहा, ‘‘2024 के लोकसभा चुनावों पर कोई चर्चा नहीं हुई। बैठक में केवल अध्यादेश पर चर्चा हुई लेकिन, इस देश को बचाने के लिए हम सभी साथ हैं और जो कुछ भी जरूरी होगा, किया जाएगा।''
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उल्लेखनीय है कि ‘आप' के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल इस अध्यादेश के खिलाफ भाजपा विरोधी दलों का समर्थन लेने के लिए उनसे संपर्क रहे हैं ताकि जब इसे संसद में लाया जाये तो यह गिर जाए। इस अध्यादेश पर केजरीवाल ने कहा कि मोदी सरकार ने एक अधिसूचना लाकर सभी शक्तियां छीन ली। निर्वाचित सरकार की नौकरशाहों (स्थानांतरण, तैनाती, अनुशासनात्मक कार्रवाई, भ्रष्टाचार पर कार्रवाई) संबंधी शक्तियां ‘आप' सरकार से छीन ली गईं। उन्होंने कहा कि आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद 11 मई को उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने एक निर्णय दिया कि सभी शक्तियां निर्वाचित सरकार में निहित होनी चाहिए। यदि उसके पास नियंत्रण नहीं है तो यह संविधान के खिलाफ है। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों को अपने अधिकार प्राप्त करने में आठ साल लगे, लेकिन (प्रधानमंत्री नरेन्द्र)मोदी जी ने 19 मई को केवल आठ दिनों में अध्यादेश लाकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलट दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा करने के लिए 19 मई की तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि उसी दिन उच्चतम न्यायालय में अवकाश शुरू हुआ। यह साबित करता है कि उनकी मंशा साफ नहीं थी।
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केजरीवाल ने कहा कि यदि वे दो दिन पहले अध्यादेश लाते तो हम उस पर स्थगनादेश ले लेते, लेकिन अब हमें एक महीने का इंतजार करना पड़ेगा। पंजाम के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह लड़ाई केवल दिल्ली के लोगों के लिए नहीं है, बल्कि पूरे देशवासियों के लिए है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस देश को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहते हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर, लोकतंत्र ढहाने के लिए यह अध्यादेश लाया जाता है। राज्यपाल द्वारा निर्वाचित सरकार को परेशान किया जाता है।'' भाजपा की आलोचना करते हुए मान ने कहा कि यदि चुनाव के जरिए सरकार बनाने में विफल होते हैं तो वे उप चुनाव के जरिए सरकार बना लेते हैं, राज्यपालों को निर्वाचित सरकार को परेशान करने का आदेश दिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों ने अब निर्वाचित और चयनित के बीच अंतर जान लिया है।''

गौरतलब है कि अभी तक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव सीताराम येचुरी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के चंद्रशेखर राव, शिव सेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता शरद पवार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने ‘आप' को इस मुद्दे पर अपना समर्थन दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड नेता नीतीश कुमार और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री व द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष एमके स्टालिन ने भी इस मामले में केजरीवाल को समर्थन किया है।

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