यूपी में एक ऐसा मदरसा, जहां गीता की चौपाइयों के साथ गुंजते हैं कबीर के दोहे

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 31 Oct, 2019 03:26 PM

a madrasa in up where kabir s couplets resonate with the four footers of gita

भारत विविधिताओं का देश है और अनेकता में एकता इस देश की सदियों से चली आ रही पहचान है। संप्रदायिक सौहार्द के जरिए पूरे विश्व को शांति का संदेश देने वाले इस देश में एक दूसरे का सम्मान करना जीवन जीने की कला है। मदरसों का नाम...

मुरादाबादः भारत विविधिताओं का देश है और अनेकता में एकता इस देश की सदियों से चली आ रही पहचान है। संप्रदायिक सौहार्द के जरिए पूरे विश्व को शांति का संदेश देने वाले इस देश में एक दूसरे का सम्मान करना जीवन जीने की कला है। मदरसों का नाम जेहन मे आते ही धार्मिक शिक्षा के लिए बने केंद्र नजर आते हैं, लेकिन मुरादाबाद में मदरसे ने एक ऐसी पहल की है। जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है।
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मदरसे में छात्रों को पढ़ाई जा रही संस्कृत
भोजपुर क्षेत्र स्थित मदरसे में छात्रों को संस्कृत पढ़ाई जा रही है और राम चरित्र मानस से लेकर गीता तक के श्लोक का अर्थ समझाया जा रहा है। छात्र जहां संस्कृत की पढ़ाई मैं रुचि ले रहे हैं।वही मदरसा प्रबंधक इसे देश को जानने और समझने की पहल बता रहे हैं। मासूम दिलनवाज जिस शिद्दत से कबीर के दोहों को अपने सुर में पिरोते हैं, उसे सुन हर कोई हैरान रह जाता है।
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मदरसे में 100 से अधिक छात्र कर रहे शिक्षा ग्रहण
गाजियाबाद के रहने वाले दिलनवाज मुरादाबाद के चांदपुर क्षेत्र स्थित मदरसा अलजामिया मकिक्या खजाइनुल इरफान के छात्र हैं, इस मदरसे में 100 से अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मदरसे में सभी विषयों की शिक्षा के साथ संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है और संस्कृति के पौराणिक ग्रंथों के जरिए छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। एक तरफ रामचरितमानस के जरिए भगवान राम के जीवन से जुड़े पहलू हैं, तो दूसरी तरफ गीता के जरिए भगवान कृष्ण और अर्जुन संवाद छात्रों को इतिहास की जानकारी दे रहे हैं।
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छात्रों के लिए संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य
इंटर मिडिएट तक कि शिक्षा दे रहे, इस मदरसे में छात्रों के लिए संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य है और हर दिन बच्चों को संस्कृतिक भाषा में लिखे गए इस श्लोक का अनुवाद कर समझाया जाता है। बच्चों को दी जा रही इस तालीम से अनेक अभिभावक भी संतुष्ट हैं और पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

मदरसे के प्रबंधक इससे सामाजिक सध्दाव बनाने का कदम मानते हैं
मदरसे के प्रबंधक इससे जहां सामाजिक सध्दाव बनाने का कदम मानते हैं। वहीं उनके मुताबिक धर्म विशेष से जुड़ी जानकारियों के अभाव के चलते लोगों मे अफवाहों पर विश्वास करना आसान हो जाता है। इसलिए छात्रों को आवश्यक हैं, कि वे सभी विषयों की जानकारी हासिल करें और समाज में मुकम्मल इंसान के तौर पर जीवन जाए।

मदरसे में इस पहल को लोगों का भी मिला रहा समर्थन
मदरसे में संस्कृत की पढ़ाई से बच्चों को जहां भारतीय पौराणिक ग्रंथों और जीवन दर्शन की जानकारी हो रही है। वहीं उनके सवालों के जवाब भी मिल रहे हैं। छात्र भी मानते हैं कि समाज में अगर आपसी भाईचारा और पूरा प्यार बढ़ाना है तो शिक्षा के जरिए यह काम आसान हो जाता है।मदरसे में इस पहल को लोगों का भी समर्थन मिल रहा है। देखना होगा कि इस पहल के बाद क्या दूसरे मदरसे भी इस दिशा में कदम बढ़ा कर खुद को सामने लाने की कोशिश करते हैं या फिर खुद को अपने ही दायरे में रखकर आगे बढ़ना चाहते हैं।




 

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