कौशांबी के मैदानी इलाकाें में बिखरी कश्मीर के केसर की महक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Apr, 2018 02:24 PM

कश्मीर की वादियों में पैदा होने वाले केसर के फूल की खुशबु अब कौशांबी जैसे मैदानी इलाके में भी अपनी महक से लोगों को आकर्षित करने लगे हैं। यहां पैदा होने वाले केसर के फूलों को अमेरिकन या फिर ईरानी केसर (कुमकुम) कहा जाता है।

कौशांबीः कश्मीर की वादियों में पैदा होने वाले केसर के फूल की खुशबु अब कौशांबी जैसे मैदानी इलाके में भी अपनी महक से लोगों को आकर्षित करने लगे हैं। यहां पैदा होने वाले केसर के फूलों को अमेरिकन या फिर ईरानी केसर (कुमकुम) कहा जाता है। जिले के दर्जन भर किसान कम लागत व कम मेहनत से केसर की बेहतर उपज पैदा कर खुद तो खुशहाल हैं ही जिले को भी तरक्की के रास्ते पर ले जाने की मुहिम में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

केसर की खेती करने वाले किसान फूल के साथ उसके दानों को बेंचकर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं। जिले में केसर की खेती करने वाले किसानों को अभी उचित बाजार तो नहीं मिला फिर भी व्यापारी उनके खेत से ही तैयार फूल व दाना की खरीददारी करके ले जा रहे हैं। जिला उद्यान विभाग ऐसे किसानों को बेहतर बाजार मुहैया कराने के साथ ही केसर की अधिक खेती करवाने की जुगत में है। कौशांबी जिले के सिराथू तहसील के चकनारा गाँव मे लहलहाती सुर्ख केसर की खेती देख कर पहले तो यही लगता है मानों कश्मीर की वादियों मे पहुंच गए हों। जिले में केसर की उपज तीन साल पहले से शुरू हुई है। 

कैसे हुई खेती शुरुआत
चकनारा गांव के किसान शिव प्रसाद सिंह को किसी महंत ने दो मुट्ठी बीज देकर खेतों में बुआई करने को कहा। महंत के आदेशानुसार शिव प्रसाद ने ठीक वैसा ही किया। दो महीने बाद जब बीज ने बड़े पौधे का रूप लिया तो उसमें केसर जैसे फूल देख किसान की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। फूलों की तुड़ाई के बाद जब फसल पककर तैयार हुई तो काफी मात्रा में बीज की पैदावार हुई। सर्दियों की शुरुआत में किसान शिव प्रताप ने अपने एक बीघा खेत में बुवाई किया। तीन महीने बाद जब फसल तैयार हुई तो उसमें से लगभग सात कुंतल दाने निकले।

जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क के बाद चला पता 
फूल व दाने की पहचान से अनजान किसान ने जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क किया, तब उसे पता चला कि वह मैदानी इलाके में अमेरिकन केसर की खेती कर रहा है। उद्यान विभाग ने लखनऊ के एक व्यापारी से संपर्क कर किसान के खेत से ही उपज को तीन हजार रुपये कुंतल की दर से बेचवा दिया। 

अब दर्जन भर किसान कर रहे खेती
कम लागत व बेहतर उपज के बाद शिव प्रताप ने इस साल अपने साथ दर्जन भर किसानों के लगभग पच्चीस बीघा खेत मे केसर की बुआई कराई। इस समय किसानों ने केसर के फूलों की तुड़ाई कर लिया है।फसल भी पककर तैयार है। लहलहाती फसल देख कर उम्मीद है कि इस बार भी छह से सात कुंतल प्रति बीघा दानों कि उपज होगी।

फूलों के खरीददार न मिलने से चिंतित हैं किसान
किसान शिव प्रताप ने मैदानी इलाके में केसर की बेहतर पैदावार खुद भी किया और गांव के दूसरे किसानों को भी करवाया। कई किलो केसर के फूल किसानों ने इकट्ठा कर लिया है। किसानों को अब इस बात की चिंता है कि केसर के दाने तो उनके खेत से ही बिक जाएंगे लेकिन फूलों के खरीददार अभी तक नहीं मिले हैं। इसी बात से चिंतित शिव प्रताप का कहना है कि केसर के फूल बिक गए तो उनकी वाहवाही होगी वरना साथी किसानों के बीच उपहास का पात्र बनेंगे। 

किसानों के खेत तक पहुंचेंगे व्यापारी
हालांकि जिला उद्यान अधिकारी मेवा राम का दावा है कि जैसे केसर के दानों के व्यापारी मिले हैं वैसे ही केसर के फूल के व्यापारी किसानों के खेत तक पहुंचेंगे और बेहतर दाम देकर खरीददारी करेंगे। 

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