स्कूलों की मनमानी के मामले में HC ने की सुनवाई, 3 सप्ताह के भीतर सरकार से मांगा जवाब

Edited By Nitika,Updated: 15 Feb, 2020 10:59 AM

hc heard about the arbitrariness of schools

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में निजी स्कूलों की मनमानी तथा शिक्षा के व्यवसायीकरण को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई की। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है।

 

नैनीतालः उत्तराखंड के नैनीताल जिले में निजी स्कूलों की मनमानी तथा शिक्षा के व्यवसायीकरण को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई की। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है। इस मामले में सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेंडरी एजूकेशन (सीबीएसई) को भी पक्षकार बनाया गया है।

उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के छात्र-अभिभावक-अध्यापक कल्याण सोसाइटी दमुवाढूंगा के पत्र पर संज्ञान लेते हुए इस मामले में जनहित याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन तथा न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। सोसाइटी के अध्यक्ष पंकज खत्री की ओर से कहा गया है कि उनकी संस्था छात्र-अभिभावक हितों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रही है।

हल्द्वानी में 70 निजी स्कूल तथा कॉलेज हैं। सभी सीबीएसई से संबद्ध हैं। ये नियमों को ताक पर रखकर मनमानी फीस वसूल कर रहे हैं। मानकों के खिलाफ हर साल फीस में बढ़ोतरी करते जा रहे हैं। यही नहीं इन्होंने शिक्षा का व्यवसायीकरण कर दिया है और संस्थानों को धन कमाने का साधन बना दिया है। निजी स्कूलों के प्रबंधकों द्वारा छात्रों को 3 गुना दाम पर किताबें तथा स्कूल की वर्दी उपलब्ध करवाई जा रही है। छात्रों और अभिभावकों को एक दुकान से किताबें व वर्दी खरीदने को बाध्य किया जाता है। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से मुख्य न्यायाधीश से निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग की गयी है।

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को कुछ सुझाव दिए गए हैं। कहा गया है कि स्कूल अवकाश के महीनों में फीस नहीं वसूलें। साथ ही बिना बोर्ड की सहमति के पाठ्यक्रम में बदलाव न करें और छात्रों के लिए स्कूल और कॉलेजों में बुक बैंक की स्थापना करें। बुक बैंकों से छात्रों को किताबें उपलब्ध करवाई जाए। यह भी सुझाव दिया गया है कि छात्रों को स्कूलों में निजी ट्यूशन पढ़ने पर प्रतिबंध लगाए जाए। इन स्कूलों में काम करने वाले अध्यापकों को सरकारी स्कूलों के बराबर वेतन उपलब्ध करवाया जाए। साथ ही छात्रों के कल्याण के लिए स्कूलों में अभिभावक-अध्यापक समिति के गठन करने का सुझाव भी दिया गया है।

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