पुरूषों के लिए बेहद लाभकारी है ये दाल, नियमित प्रयोग करने से दूर होगी ये समस्या

Edited By Umakant yadav,Updated: 02 Nov, 2021 05:42 PM

this pulse is very beneficial for men this problem will be overcome

आमतौर पर दालों को प्रोटीन का अच्छा श्रोत माना जाता है लेकिन लाल दाल के नाम से प्रचलित मसूर दाल दस्त, बहुमूत्र, प्रदर और अनियमित पाचन क्रिया समेत अनेक रोगों में लाभकारी है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के शस्य विज्ञान...

कानपुर: आमतौर पर दालों को प्रोटीन का अच्छा श्रोत माना जाता है लेकिन लाल दाल के नाम से प्रचलित मसूर दाल दस्त, बहुमूत्र, प्रदर और अनियमित पाचन क्रिया समेत अनेक रोगों में लाभकारी है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के शस्य विज्ञान विभाग में शोधरत प्रशूंन सचान ने मंगलवार को बताया कि दलहनी फसलों में मसूर का अपना अलग एक महत्वपूर्ण स्थान है। मसूर दाल जिसे लाल दाल के नाम से जाना जाता है। मसूर उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। मसूर के 100 ग्राम दाने में औसतन 25 ग्राम प्रोटीन, 1.3 ग्राम वसा, 7.8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 3.2 ग्राम रेशा, 68 मिलीग्राम कैल्शियम, 7 मिलीग्राम लोहा, 0.21 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन, 0.51 मिलीग्राम थायमीन और 4.8 मिलीग्राम नियासिन पाया जाता है। जो मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है इसके सेवन से अन्य दालों की अपेक्षा सर्वाधिक पौष्टिकता पाई जाती है।

उन्होंने बताया कि रोगियों के लिए यह दाल अत्यंत लाभप्रद है। इसका सेवन दस्त, बहुमूत्र, प्रदर, कब्ज व अनियमित पाचन क्रिया में लाभकारी है। इसका हरा व सूखा चारा पशुओं के लिए स्वादिष्ट व पौष्टिक होता है। प्रसून ने किसानों को सलाह दी है कि इसके इससे अधिक पैदावार के लिए मध्य नवंबर तक इसकी बुवाई करते हैं। उन्होंने बताया कि मसूर की उन्नतशील प्रजातियां जैसे- डीपीएल 15, डीपीएल 62, नूरी, के 75, आइ पी एल 81, एलएस 218 प्रमुख हैं।

सचान ने बताया कि समय से बुवाई के लिए 30 से 35 किलोग्राम एवं देर से बुवाई के लिए 50 से 60 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर आवश्यक होता है। तथा उर्वरक 20 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश एवं 20 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। जिंक की कमी वाले क्षेत्रों में 25 किलोग्राम जिंक प्रति हेक्टेयर की दर से दें। बुवाई के पूर्व बीज का शोधन अवश्य कर दें। सचान ने बताया कि किसान भाई आधुनिक तरीके से इस की उन्नत खेती करें तो दानों के उपज 20 से 25 कुंतल एवं भूसे की उपज 30 से 35 कु. प्रति हेक्टेयर ली जा सकती है।

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