Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 28 Feb, 2020 06:53 PM
आज से 9 साल पहले बसपा सरकार को झकझोर कर रख देने वाले बहुचर्चित सोनम हत्याकांड मामले का आज फैसला आया। मामले में दोषी सिपाही अतीक अहमद को आजीवन कारावास की सजा मिली है। जबकि कोर्ट से दोषी करार तत्कालीन सीओ इनायत उल्ला खां को पांच साल कारावास और 50...
लखीमपुर खीरीः आज से 9 साल पहले बसपा सरकार को झकझोर कर रख देने वाले बहुचर्चित सोनम हत्याकांड मामले का आज फैसला आया। मामले में दोषी सिपाही अतीक अहमद को आजीवन कारावास की सजा मिली है। जबकि कोर्ट से दोषी करार तत्कालीन सीओ इनायत उल्ला खां को पांच साल कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। वहीं, सिपाही शिव कुमार एवं उमाशंकर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था। जेल से कोर्ट पहुंचने के बाद दोनों दोषियों को जेल भेज दिया गया।
बता दें कि यह फैसला विशेष न्यायाधीश प्रदीप सिंह की कोर्ट में सुनाया गया है। 26 फरवरी को विशेष न्यायाधीश के अवकाश के चलते यह सुनवाई टल गई थी, जो आज पूर्ण हुई है। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही थी। जांच में अतीक के खिलाफ सिर्फ हत्या और सबूत मिटाने का आरोप पाया गया था, जबकि दुष्कर्म की बात साबित नहीं हो पाई थी। इसके अलावा सीओ पर सबूत मिटाने का आरोप तय हुआ था।
10 जून 2011 को वादिनी तरन्नुम ने एफआइआर दर्ज कराई थी। आरोप है कि उनकी बेटी सोनम भैंस चराने गई थी। भैंस चराते हुए थाने के अंदर चली गई थी। काफी समय बाद भी जब उनकी बेटी वापस नहीं लौटी तो वह उसकी तलाश में थाना परिसर में गई तो देखा कि उनकी बेटी का शव लटक रहा था। सोनम के शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे। हत्या का आरोप लगाकर एफआइआर दर्ज कराई गई थी। जिसके बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। इतना ही नहीं इस कांड को आत्महत्या का रूप देने वाली पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने वाले तीन डॉक्टरों को 2018 में तीन डॉक्टरों को सीजेएम कोर्ट ने सजा सुनाई थी।
इसके बाद में शासन ने घटना की जांच सीबीसीआइडी को सौंपी और तत्कालीन एसपी डीके राय को भी सस्पेंड कर दिया। फिर घटना के 23 दिन बाद सीबीसीआइडी ने मामले का राजफाश करते हुए इस हत्याकांड में तत्कालीन सीओ के गनर अतीक अहमद को हत्या का आरोपी बनाते हुए घटना का राजफाश किया था। बाद में सीबीआइ ने भी अपनी जांच के बाद अतीक अहमद के खिलाफ ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। सीबीआइ के विशेष जज ने पुलिसकर्मियों को दोषी फरार दिया। जिसके बाद 28 फरवरी 2020 को 9 साल बाद इस मामले का फैसला आया।