Edited By Ajay kumar,Updated: 28 Aug, 2023 09:07 PM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक नियुक्ति मामले में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि डाकघर विभाग एजेंट के रूप में कार्य करता है। किसी भर्तीकर्ता को यह कहकर अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं कराया जा सकता कि फॉर्म समय पर डाकघर को भेज दिया गया था।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक नियुक्ति मामले में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि डाकघर विभाग एजेंट के रूप में कार्य करता है। किसी भर्तीकर्ता को यह कहकर अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं कराया जा सकता कि फॉर्म समय पर डाकघर को भेज दिया गया था। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति विकास बुधवार की एकलपीठ ने पंकज कुमार प्रियम की याचिका को खारिज करते हुए की।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने शिक्षकों की कमी के कारण एक वर्ष की अवधि के लिए शिक्षकों की अल्पकालिक नियुक्तियां करने का नीतिगत निर्णय लिया था। इसके बाद संस्कृत विद्यालय में नियुक्ति के लिए विभिन्न सरकारी आदेश जारी किए गए। याची का तर्क है कि उसने 19 जून 2023 को संस्था को अपना दस्तावेज रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेजने के साथ-साथ जिला विद्यालय निरीक्षक, मऊ को एक ईमेल के माध्यम से आवेदन दे दिया था। हालांकि याची को यह कहते हुए साक्षात्कार में बैठने की अनुमति नहीं दी गई कि उसका आवेदन अंतिम तिथि दिनांक 23 जून 2023 के बाद भेजा गया था।
आवेदन पत्र समय पर भेजा जाना चाहिएः हाईकोर्ट
याची अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उसने निर्धारित समय के भीतर आवेदन किया था, लेकिन फॉर्म अंतिम तिथि के अगले दिन पहुंचा। अंत में कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि आवेदन पत्र समय पर भेजा जाना चाहिए, जिससे जमा करने की निर्धारित अंतिम तिथि से पहले वह संबंधित प्राधिकारी तक पहुंच जाए। आवेदन की स्पष्ट शर्तों व नियमों को व्यक्तिगत आवेदकों की आवश्यकता के अनुरूप बदला नहीं जा सकता है।