Edited By Ajay kumar,Updated: 10 May, 2024 05:38 PM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के संपूर्ण सामाजिक, पारिवारिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व को झकझोरने वाली एसिड अटैक की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समय के साथ एसिड अटैक लैंगिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हिंसा के रूप में बदलता जा रहा...
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के संपूर्ण सामाजिक, पारिवारिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व को झकझोरने वाली एसिड अटैक की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समय के साथ एसिड अटैक लैंगिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हिंसा के रूप में बदलता जा रहा है। एसिड हमलों से न केवल पीड़िताओं की शारीरिक बनावट को नुकसान पहुंचता है बल्कि ऐसी घटनाएं उन्हें सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी तोड़ देती हैं, जिससे उनके समग्र विकास में बाधा उत्पन्न होती है। एसिड अटैक से जुड़ी घटनाओं को देखकर ऐसा लगता है कि एसिड की आपूर्ति और वितरण के लिए नियमों और कानून का कोई उचित कार्यान्वयन नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट और इस न्यायालय के कई निर्देशों के बावजूद कानून एसिड के वितरण को गलत हाथों में जाने से रोकने में विफल रहा है।
इस प्रकृति के अपराध के लिए किसी भी प्रकार की क्षमा स्वीकार्य नहीं
वर्तमान मामले में पीड़िता को याचियों द्वारा किए गए एक असभ्य और हृदयहीन अपराध का सामना करना पड़ा है। इस प्रकृति के अपराध के लिए किसी भी प्रकार की क्षमा स्वीकार्य नहीं है। कानून इस बात से अनभिज्ञ नहीं रह सकता है कि इस घटना से पीड़िता को जो भावनात्मक कष्ट पहुंचा है, उसकी भरपाई ना तो आरोपियों को सजा देकर और ना पीड़िता को कोई मुआवजा देकर की जा सकती है। ऐसी घटनाएं पीड़िताओं को अपूरणीय क्षति पहुंचाती हैं।
पीड़िता बैंक मैनेजर के पद पर कार्यरत थी
उक्त टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने मानसिंह और तीन अन्य की याचिका को खारिज करते हुए पीड़िता को गवाह संरक्षण योजना, 2018 के तहत सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया। याचियों ने वर्तमान याचिका में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन चरवा,कौशांबी में दर्ज प्राथमिकी से उत्पन्न मामले में जमानत की मांग की थी। मामले के अनुसार पीड़िता बैंक मैनेजर के पद पर कार्यरत थी। अभियुक्तों ने अवैध रूप से लोन पास करने हेतु पीड़िता पर दबाव बनाने के लिए एसिड हमला किया। पीड़िता ने विभिन्न आवेदन देकर यह बताया कि उसके परिवार पर केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। हालांकि उसके आवेदनों पर संज्ञान नहीं लिया गया।