नयी प्रौद्योगिकी को पूरा महत्व दे रहा है एनएचएआई: वी. के. सिंह

Edited By PTI News Agency,Updated: 06 May, 2022 08:56 PM

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लखनऊ, छह मई (भाषा) केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी.के. सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) नयी प्रौद्योगिकी को पूरा महत्व दे रहा है, ताकि कम लागत में अच्छी सड़कों का...

लखनऊ, छह मई (भाषा) केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी.के. सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) नयी प्रौद्योगिकी को पूरा महत्व दे रहा है, ताकि कम लागत में अच्छी सड़कों का तेजी से निर्माण हो सके।
उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि भविष्य में कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाली श्रद्धालु अपने वाहन लिपुलेख (उत्तराखंड) तक ले जा सकेंगे।
केंद्रीय राज्य मंत्री निर्माण प्रौद्योगिकी तथा उपकरणों से संबंधित ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए आयोजित एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारियों के सम्मेलन में शिरकत करने आए थे। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के संबंधित अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
सिंह ने बैठक से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "एनएचएआई नयी प्रौद्योगिकी को पूरा महत्व दे रहा है, ताकि वे ऐसी सड़कों का निर्माण तेजी से कर सकें जो गुणवत्ता में अच्छी हों और उनकी लागत भी कम हो।" उसने कहा, "चार धाम परियोजना पर काफी काम हुआ है और हमें अदालत से इस संबंध में सकारात्मक आदेश प्राप्त हुआ है। हमारा मकसद है कि जब लोग कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाएं तो वह लिपुलेख तक अपने वाहन ले जा सकें।" हर साल जून से सितंबर के बीच दो अलग-अलग मार्गों यानी लिपुलेख पास (उत्तराखंड) और नाथू ला पास (सिक्किम) से कैलाश मानसरोवर यात्रा आयोजित की जाती है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने उत्तराखंड स्थित चार धाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री) में संपर्क मार्गों को बेहतर बनाने के लिए एक अलग कार्यक्रम शुरू किया है।
सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क संपर्क नेटवर्क को मजबूत करने संबंधी एक सवाल पर उन्होंने कहा, "भारतमाला परियोजना के तहत हमारा लक्ष्य है कि सीमावर्ती क्षेत्रों, आर्थिक गलियारों तथा दूसरे देशों के साथ हमारा सड़क संपर्क और बेहतर हो। इसके तहत सीमावर्ती क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है।" सिंह ने उत्तर प्रदेश में विभिन्न एक्सप्रेस-वे को राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़ने पर ध्यान देने की जरूरत भी बताई।
उन्होंने बैठक में कहा कि एनएचएआई को सड़कें बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण के मामले में सबसे ज्यादा समस्याएं बिहार में उत्पन्न होती हैं। इसका समाधान कैसे किया जाए इस बारे में संबंधित अधिकारी अपने राज्य जाकर विचार विमर्श करें।
सिंह ने यह भी कहा कि विकास सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आम राय बहुत महत्वपूर्ण है।
सड़कों का जाल बिछाने के लिए जमीन की खरीद में होने वाली समस्याओं के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा, "जमीन को लेकर तो हर जगह कोई न कोई समस्या है। जब आप जमीन खरीदने जाते हैं तो कुछ न कुछ समस्या तो आती ही है। आखिर हम इसे जल्दी कैसे हल कर सकते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण का ख्याल किए बिना अच्छी सड़कों का निर्माण नहीं हो सकता।
एनएचएआई की अध्यक्ष अलका उपाध्याय ने इस अवसर पर कहा, "वर्ष 2014 से अब तक हमने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से 2100 किलोमीटर लंबी सड़कों की 30 से अधिक परियोजनाएं पूरी की हैं। इनमें से ज्यादातर सड़कें चार या छह लेन के राजमार्ग हैं। इस समय करीब 22 किलोमीटर की लगभग 50 परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है, जिसके निर्माण पर 73,000 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है।
उन्होंने कहा, "अमृत महोत्सव के अंतर्गत हमने राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे रिकॉर्ड वृक्षारोपण करने का लक्ष्य तय किया है। अकेले उत्तर प्रदेश में आगामी मानसून के दौरान 10 लाख पेड़ लगाने की योजना है।" कार्यक्रम के दौरान एनएचएआई और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण आजीविका मिशन के बीच एनएचएआई की जमीन पर वृक्षारोपण के संबंध में एक अनुबंध पत्र पर दस्तखत भी किए गए।


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