Edited By PTI News Agency,Updated: 15 Jun, 2021 10:12 PM
लखनऊ, 15 जून (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने बाराबंकी के रामसनेही घाट तहसील परिसर में स्थित मस्जिद के मामले में मंगलवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल याचिका में अंतरिम राहत के तौर पर...
लखनऊ, 15 जून (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने बाराबंकी के रामसनेही घाट तहसील परिसर में स्थित मस्जिद के मामले में मंगलवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल याचिका में अंतरिम राहत के तौर पर मस्जिद वाले स्थान पर अजान व पांच वक्त नमाज पढ़ने में दखल नहीं दिये जाने की मांग की गई है। वहीं अदालत ने सरकार को याचिका पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की याचिका पर पारित किया।
बोर्ड की ओर से दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि उक्त मस्जिद सौ साल पुरानी थी। बोर्ड की दलील है कि उसके रिकॉर्ड में उक्त मस्जिद वर्ष 1968 से ही दर्ज है। याचिका में रामसनेही घाट के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) पर मनमाने तरीके से कार्रवाई करते हुए मस्जिद को 17 मई को ध्वस्त करवाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में एसडीएम को दंडित करने का आदेश राज्य सरकार को देने की भी मांग की गई है।
वहीं याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने दलील दी कि मस्जिद कमेटी को बाकायदा नोटिस जारी किया गया था, लेकिन कमेटी की ओर से जवाब ही नहीं दिया गया। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा याचिका दाखिल करने के अधिकार पर भी सवाल उठाया गया।
हालांकि सरकारी वकील ने सरकार से निर्देश नहीं प्राप्त हो पाने के कारण समय दिये जाने की मांग की। पीठ ने सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया, साथ ही अंतरिम राहत की मांग पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
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