Edited By Pooja Gill,Updated: 15 Aug, 2024 11:17 AM
Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मामले की सुनवाई मुस्लिम पक्ष के वकील के अस्वस्थ होने की वजह से बुधवार को नहीं हो सकी, जिसके बाद अदालत ने सुनवाई 21 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। अदालत ने नौ जुलाई 2024 को वाराणसी...
Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मामले की सुनवाई मुस्लिम पक्ष के वकील के अस्वस्थ होने की वजह से बुधवार को नहीं हो सकी, जिसके बाद अदालत ने सुनवाई 21 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। अदालत ने नौ जुलाई 2024 को वाराणसी के जिला न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली पुनरीक्षण याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद की इंतेजामिया कमेटी को एक महीने का समय दिया था। वाराणसी के जिला न्यायाधीश ने ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर कथित शिवलिंग को छोड़कर बाकी वुजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्देश देने से इनकार कर दिया था।
मुस्लिम पक्ष ने किया था सुनवाई टालने का अनुरोध
बुधवार को मुस्लिम पक्ष के वकील की ओर से बीमारी की एक पर्ची भेजी गई और इस मामले में सुनवाई टालने का अनुरोध किया गया, जिस पर अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 21 अगस्त तय की। वाराणसी की अदालत में श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना वाद में शामिल वादकारियों में से एक राखी सिंह द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने यह आदेश पारित किया। राखी सिंह के मुताबिक, मुस्लिम पक्ष द्वारा अभी तक कोई जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया गया है। राखी सिंह ने अपनी पुनरीक्षण याचिका में दलील दी कि न्याय हित में वुजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण आवश्यक है क्योंकि इससे अदालत को निर्णय पर पहुंचने में मदद मिलेगी।
'ज्ञानवापी परिसर का पहले भी सर्वेक्षण कर चुका है'
वाराणसी के जिला जज अपने 21 अक्टूबर के आदेश में वुजूखाना क्षेत्र के सर्वेक्षण का आदेश देने में विफल रहे। हिंदू पक्ष की ओर से अदालत में पेश हुए वकील सौरभ तिवारी और अमिताभ त्रिवेदी ने दलील दी कि संपूर्ण संपत्ति का धार्मिक चरित्र निर्धारित करने के लिए वुजूखाना का एएसआई से सर्वेक्षण कराना आवश्यक है। यह सर्वेक्षण उच्चतम न्यायालय के निर्देश के मुताबिक, गैर आक्रामक पद्धति का उपयोग करके संभव है। एएसआई, वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का पहले भी सर्वेक्षण कर चुका है और वाराणसी के जिला न्यायाधीश को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।