'आदम युग' में जीने को मजबूर हैं बुंदेलखंड के लोग, केन नदी का गंदा पानी पीकर कर रहे गुजारा

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 01 Jun, 2019 03:13 PM

people from bundelkhand are living and drinking the dirty water of the ken river

हर साल सूखे की मार झेलने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है। देश को आजाद हुये 72 साल हो गए हैं, लेकिन बुंदेलखंड अंतगर्त हमीरपुर जिले में लोग आज भी "आदम युग" में जी रहे है। 21वीं सदी में भी इन्हें पीने का पानी मुहैया नहीं है।...

हमीरपुरः हर साल सूखे की मार झेलने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है। देश को आजाद हुये 72 साल हो गए हैं, लेकिन बुंदेलखंड अंतगर्त हमीरपुर जिले में लोग आज भी "आदम युग" में जी रहे है। 21वीं सदी में भी इन्हें पीने का पानी मुहैया नहीं है। नतीजतन यह लोग दो किलोमीटर दूर केन नदी का गंदा, बदबूदार और प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं।
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यहां लोगों को पूरा दिन सिर्फ एक काम, पानी भरना
यह तस्वीरें दिल को झकझोर देने वाली हैं जो हमीरपुर में बकछा गांव की हैं। यहां के लोगों का दिन भर एक ही काम है केन नदी से पानी भरना और दो किलोमीटर दूर गांव में बैलगाड़ियों से पानी ले जाना। ड्रमों में पानी भरते लोगों की यह तस्वीरें हैरान और परेशान कर देने वाली हैं। जिन्हें देखकर यकीन करना मुश्किल होगा कि हम लोग 21 वीं सदी में जी रहे हैं या अभी भी आदम युग में है। यह कोई इकलौता गांव नहीं है बल्कि केन नदी के किनारे बसे आधा दर्जन गांव के लोगों के लिए यह नदी ही प्यास बुझाने का अकेला जरिया है।
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गंदे पानी से प्यास बुझा रहा पूरा गांव
हमीरपुर में मौदहा ब्लॉक क्षेत्र के किनारे से बहने वाली केन नदी इस इलाके के लोगों के लिए जीवन देनी बनी हुई है, जो इंसानों के साथ जानवरों की भी प्यास बुझाने और नहाने के काम आ रही है, क्योंकि बीहड़ के गांवों में सभी कुएं, तालाब सूख गए हैं और हैण्डपम्प जो पानी दे भी रहे हैं उनका पानी इतना खारा है कि अगर उस पानी से कपड़े धो लिए जाएं तो साबुन भी ना छूटे। इस लिए ग्रामीणों को जिंदा रहने के लिए सिर्फ नदी के पानी का ही सहारा है, जो गन्दा और प्रदूषित है लेकिन करें तो क्या करें जीना तो है।
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बुंदेलखंड में पारा 44 के पार
बुंदेलखंड इलाके में इस वक़्त पारा 44 को पार कर चूका है।आसमान से आग बरस रही है, लेकिन लुह और धूप के थपेड़ों के बीच इन लोगों को जीने के लिए पानी चाहिए। इस लिए सर पर पानी भरे डिब्बे रखे यह महिलाएं दो किलो मीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं। बीहड़ के इन गावों की महिलाओं का कहना है कि पूरी उम्र नदी से पानी भरने में ही बीत गई है। पानी की इतनी भयानक दिक्कत होने की वजह से इन गावों में कोई अपनी बेटी भी नही ब्याहना चाहता है, जिस वजह से गांवों के आधे से ज्यादा युवा कुंवारे हैं।
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बुंदेलखंड के सातों जिलों में पानी की किल्लत
जिस तरह का जल संकट आपको हमीरपुर में देखने को मिल रहा है कुछ इसी तरह का जल संकट पूरे बुंदेलखंड में है। इस इलाके के सभी सातों जिलो ,बांदा, चित्रकूट , महोबा , जालौन , झांसी , ललितपुर और हमीरपुर जिलों की भी यही हालत है। बांदा जिले में पानी पर पुलिस का पहरा लगाना पड़ा है तो चित्रकूट की एक मात्र मन्दाकिनी नदी सूख गई है। महोबा में पीने का पानी उर्मिल बांध से आता है यह बांध भी डेड लेवल पर आ गया है। हमीरपुर के ग्रामीण इलाकों का हाल तो आप देख ही रहे है। जहां केन नदी ना होती तो ग्रामीण प्यासे मर जाते।
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झुनझुना पकड़ाने की कोशिश में लगा जिला प्रशासन
बुंदेलखंड में पीने के पानी के लिए मारामारी की तस्वीरें आए दिन सामने आती रहती हैं, इसके बावजूद स्थाई समाधान करने में प्रशासन गोल मोल जवाब देकर झुनझुना पकड़ाने की कोशिश में लगा है। तो वहीं ग्राम प्रधान जिला प्रशासन पर सुनवाई ना करने का आरोप लगा कर मुक्ति पाने की कोशिश में है।

 

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