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JPC की रिपोर्ट ने विवाद को दिया जन्म! ‘वक्फ बिल के विरोध में पसमांदा समाज करेगा प्रदर्शन’, मंसूरी बोले- कमेटी ने एकतरफा रिपोर्ट बनाया

Edited By Mamta Yadav,Updated: 28 Jan, 2025 04:36 PM

pasmanda samaj will protest against waqf bill mansoori said

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट ने विवाद को जन्म दे दिया है। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने इस रिपोर्ट को "पक्षपातपूर्ण" और "पसमांदा समाज के अधिकारों का हनन" करार...

Lucknow News, (अनिल कुमार सैनी): वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट ने विवाद को जन्म दे दिया है। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने इस रिपोर्ट को "पक्षपातपूर्ण" और "पसमांदा समाज के अधिकारों का हनन" करार दिया है। उनका कहना है कि यह विधेयक न केवल वक्फ संपत्तियों के मूल उद्देश्य को कमजोर करेगा, बल्कि इससे पसमांदा समाज के गरीब, वंचित और बेसहारा वर्गों के अधिकार पूरी तरह छिन जाएंगे।
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अनीस मंसूरी ने कहा कि इस्लाम में वक्फ की अवधारणा गरीबों, यतीम बच्चों, बेवा औरतों, समाज के वंचित वर्गों और परिवार से अलग कर दिए गए वृद्धों की मदद के लिए की गई थी। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और इनका उपयोग इन वर्गों की सहायता के लिए किया जाना चाहिए था। लेकिन हकीकत यह है कि वक्फ बोर्डों के अध्यक्ष, सदस्य, अधिकारी और मुतवल्ली लंबे समय से इन संपत्तियों का दुरुपयोग कर रहे है। उन्होंने पसमांदा समाज के अधिकारों को कुचलते हुए इन संपत्तियों को अपने निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया और अपने परिवारों की संपत्तियां बनाई।

वक्फ संपत्तियों को उनके धार्मिक और सामाजिक उद्देश्य से भटकाने की कोशिश
उन्होंने कहा कि सरकार अब इस विधेयक के माध्यम से वही कार्य बड़ी नीति के तहत करने जा रही है। इससे वक्फ संपत्तियां गरीब और जरूरतमंद वर्ग के बजाय अमीर और प्रभावशाली लोगों के कब्जे में चली जाएंगी विधेयक में वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ाने के प्रावधान पर मंसूरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा "वक्फ संपत्तियां मुस्लिम समाज की धार्मिक और सास्कृतिक संपत्तियां हैं। इनका प्रबंधन गैर-मुस्लिम सदस्यों को सौंपना वक्फ की मूल अवधारणा का खुला उल्लंघन है। यह न केवल मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला है, बल्कि वक्फ संपत्तियों को उनके धार्मिक और सामाजिक उद्देश्य से भटकाने की कोशिश है। अनीस मंसूरी ने कहा कि यह प्रावधान केवल वक्फ की धार्मिक संरचना को कमजोर करने और सरकार के प्रभाव को बढ़ाने के लिए लाया गया है।

 

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