Edited By Pooja Gill,Updated: 11 Aug, 2024 03:31 PM
मैनपुरी: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने आज मैनपुरी के करहल में दावा किया कि करहल विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है और भाजपा उपचुनाव में करहल विधानसभा सीट जीतेगी। उन्होंने कहा कि बूथ वार कार्यकर्ताओं से वार्ता कर चुनाव जीतने की रणनीति...
मैनपुरी: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने आज मैनपुरी के करहल में दावा किया कि करहल विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है और भाजपा उपचुनाव में करहल विधानसभा सीट जीतेगी। उन्होंने कहा कि बूथ वार कार्यकर्ताओं से वार्ता कर चुनाव जीतने की रणनीति बनायेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें करहल विधानसभा जिताने की जिम्मेदारी दी है और वह इस जिम्मेदारी को पूरा करने के प्रयासरत हैं।
सीएम योगी ने सौंपी जिम्मेदारी
बता दें कि यूपी में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा इस उपचुनाव में सभी सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में प्रति विधानसभा 3 मंत्रियों को जिम्मेदारी दी है। साथ ही सीएम योगी ने खुद भी कमान अपने हाथों में ली है। मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के विधान सभा सीट से इस्तीफा दिए जाने के कारण रिक्त हुई है। अखिलेश यादव कन्नौज से सांसद चुने जा चुके हैं। सीएम योगी ने डिप्टी सीएम को करहल विधानसभा सीट से जिताने की जिम्मेदारी दी है। मैनपुरी सीट से जीतना भाजपा के लिए चुनौती है।
बीजेपी सपा से छीन लेगी ये सीटः डिप्टी सीएम
मैनपुरी में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि करहल सीट पर बीजेपी दमदारी से चुनाव लड़ेगी और सपा से यह सीट इस बार छीन लेगी। श्री पाठक के रविवार को करहल आगमन पर जिले के भाजपाइयों ने उनका स्वागत किया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की समीक्षा के बाद उपमुख्यमंत्री बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ उपचुनाव को लेकर मंथन करेंगे और चुनाव जीतने की रणनीति बनायेंगे।
यह भी पढ़ेंः दो विश्वविद्यालय खोलकर मदरसों को उनसे संबद्ध करेंगे: ओमप्रकाश राजभर
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने प्रदेश में मदरसों की मान्यता की नई व्यवस्था शुरू किए जाने की तैयारी के संकेत देते हुए कहा कि दो विश्वविद्यालय खोलकर मदरसों को उनसे संबद्ध किया जाएगा। हालांकि, देश में मुसलमानों के सबसे बड़े सामाजिक संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद का कहना है कि सरकार ऐसा कोई भी कदम उठाने से पहले सभी पक्षकारों से बातचीत करें और यह सुनिश्चित करे कि इससे अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं होगा।