Nithari Murder Case: दो बार फांसी के फंदे पर लटकने से बाल-बाल बचा सुरेंद्र कोली

Edited By Anil Kapoor,Updated: 17 Oct, 2023 07:53 AM

nithari murder case surendra koli saved from hanging twice

Nithari Murder Case: बहुचर्चित निठारी कांड के केंद्र में रहा सुरेंद्र कोली फांसी पर लटकाए जाने से महज कुछ दिन पहले दो बार बाल-बाल बच गया था, और सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसे बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया। कोली ने कानूनी प्रक्रिया के...

Nithari Murder Case: बहुचर्चित निठारी कांड के केंद्र में रहा सुरेंद्र कोली फांसी पर लटकाए जाने से महज कुछ दिन पहले दो बार बाल-बाल बच गया था, और सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसे बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया। कोली ने कानूनी प्रक्रिया के खतरनाक उतार-चढ़ाव को पार किया और 2011 तथा 2014 में दो मृत्यु वारंट (फांसी की सजा के क्रियान्वयन) से बच गया। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा शुरू में दुष्कर्म और हत्या के 16 मामलों में आरोपी बनाए गए घरेलू सहायक कोली को गाजियाबाद की एक विशेष अदालत ने तीन मामलों में बरी कर दिया था, लेकिन शेष 13 मामलों में उसे मौत की सजा सुनायी थी।

रेप व हत्या मामले में कोली को 13 फरवरी 2009 को विशेष अदालत ने सुनायी थी मौत की सजा
मिली जानकारी के मुताबिक, विशेष अदालत ने 14 साल की लड़की से दुष्कर्म व उसकी हत्या मामले में कोली को 13 फरवरी 2009 को मौत की सजा सुनायी थी, जिस पर बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी मुहर लगा दी थी। उच्चतम न्यायालय ने 15 फरवरी 2011 को उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उसकी अपील खारिज कर दी थी। इस मामले में, गाजियाबाद की विशेष अदालत ने उसे दो मृत्यु वारंट जारी किए थे, लेकिन फांसी पर लटकाए जाने से कुछ दिन पहले कोली के कानूनी उपायों के कारण उन्हें क्रियान्वित नहीं किया जा सका। गाजियाबाद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कोली को 24 मई 2011 से 31 मई 2011 के बीच किसी भी दिन सुबह 4 बजे फांसी पर लटकाए जाने के लिए एक मृत्यु वारंट जारी किया था। कोली ने 7 मई 2011 को राज्यपाल के पास दया याचिका दायर की थी, जिससे मौत की सजा के क्रियान्वयन पर रोक लग गयी थी।

कोली को फांसी देने के लिए 2 सितंबर 2014 को एक और वारंट किया गया था जारी
बताया जा रहा है कि राज्यपाल ने 2 अप्रैल 2013 को दया याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास दया याचिका दायर की गयी, जिन्होंने 20 जुलाई 2014 को इसे खारिज कर दिया था। कोली ने इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देते हुए पुनर्विचार का अनुरोध किया, लेकिन 24 जुलाई 2014 को याचिका खारिज कर दी गयी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कोली को फांसी देने के लिए 2 सितंबर 2014 को एक और वारंट जारी किया, जिसमें 7 सितंबर 2014 से 12 सितंबर 2014 के बीच किसी भी दिन सुबह 6 बजे फंसी देने का आदेश दिया गया। इसके दो दिन बाद, उसे फांसी देने के लिए गाजियाबाद की डासना जेल से मेरठ के जिला कारागार ले जाया गया क्योंकि डासना में फांसी देने की व्यवस्था नहीं थी। इसके बाद ही कोली को यह पता चला कि उसे फांसी दी जाने वाली है। उच्चतम न्यायालय में 6 सितंबर को पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई बहाल करने की अर्जी दायर की गयी। शीर्ष न्यायालय ने 8 सितंबर 2014 को देर रात एक बजे मृत्यु वारंट पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी।

कोली फांसी पर लटकाए जाने से बच गया, सोमवार को उच्च न्यायालय ने उसे किया बरी
इसके बाद, एक बार फिर 12 सितंबर को फांसी देने पर रोक लगा दी गयी और मामले पर सुनवाई के लिए 28 अक्टूबर की तारीख तय की गयी। इस बीच, कोली को वापस डासना जेल ले जाया गया। उच्चतम न्यायालय ने 28 अक्टूबर 2014 को उसकी याचिका खारिज कर दी। इसके तीन दिन बाद, ‘पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स' ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक मुकदमा दायर किया, जिसके परिणामस्वरूप कोली की मौत की सजा को इस मामले में उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। पीड़िता के पिता ने उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी, जो अभी लंबित है। कोली शेष 12 मामलों में भी फांसी पर लटकाए जाने से बच गया, जिसमें उच्च न्यायालय ने सोमवार को उसे बरी किया है। लेकिन वह एक सक्षम अदालत के अगले आदेश तक उम्रकैद की सजा काटता रहेगा। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!