Edited By Purnima Singh,Updated: 20 Jun, 2025 07:24 PM

उत्तर प्रदेश के बरेली में 21 जून को इंटरनैशनल योग दिवस मनाया जाएगा। गत वर्षो में योग को लेकर काफी विवाद रहें हैं .....
बरेली (जावेद खान) : उत्तर प्रदेश के बरेली में 21 जून को इंटरनैशनल योग दिवस मनाया जाएगा। गत वर्षो में योग को लेकर काफी विवाद रहें हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने जब मदरसों में योग दिवस मनाने का आदेश दिया तो कुछ मदरसों ने योगा दिवस मनाया और ज्यादातर मदरसों ने ये कहकर विरोध किया कि योगा सनातन धर्म की पहचान है। आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने अपने बयान में विरोध करने वालों को भी नसीहत दी और खास तौर पर मदरसों में भी योगा कराने की बात कही है।
सभी धर्मों के लोगों को मिलजुल कर मनाना चाहिए योग दिवस
मौलाना ने कहा कि इंटरनैशनल योगा दिवस को सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर शानदार तरीके से मनाएं। ये योगा हर व्यक्ति की चाहे वो पुरूष हो या महिला सब के शारीर के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा कार्य है। योग के लिए जरूरी नहीं है कि पार्कों में जाएं या योगा सैंटर में ही जाकर योगा करें, बल्कि अपने घरों में हर रोज सुबह उठकर नमाज पढ़े, फिर योगा करें।
महिलाओं को दी नसीहत
मौलाना ने महिलाओं को सलाह देते हुए कहा कि योगा महिलाओं के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है, चूंकि महिलाओं का पुरूष के मुकाबले में चलना फिरना बहुत कम होता है। महिलाएं ज्यादातर घरों में ही रहती हैं। इसलिए जो व्यक्ति ज्यादा बैठने का काम करता है। उसको बिमारियां ज्यादा जकड़ लेती हैं। योगा एक ऐसा कार्य है जिसके करने से छोटी-छोटी बिमारियां खुद-ब-खुद भाग जाती हैं और जिस्म भी चुस्त-दुरुस्त रहता है। इसलिए मेरी महिलाओं से गुजारिश है कि वो हर रोज 20 मिनट योगा जरूर करें।
'योगा पर किसी धर्म का लेबल लगाना सरासर अन्याय'
मौलाना ने योगा कार्य को धर्म से जोड़ने वालों को जवाब देते हुए कहा कि योगा शब्द संस्कृत से आया है, जिसको उर्दू में वर्जिश और इंग्लिश में एक्साइज कहते हैं। कुछ नासमझ लोग योगा को सनातन धर्म से जोड़ देते हैं और गलत तरीके से लोगों के दरमियान व्याख्या करके भ्रमीत करने की कोशिश करते हैं। जबकि हकीकत ये है कि योगा सूफी संतो से निकलकर आया हुआ कार्य है। ये ऐसा कार्य है जिसपर किसी धर्म का लेबल लगाना सरासर अन्याय है। योगा भारतीय कल्चर का हिस्सा है, जो सदियों पहले सूफी संत अपने अनुयायियों के दिल व दिमाग और जिस को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए 40 दिन का चिल्ला कराते थे। योगा न सनातन धर्म का हिस्सा है और न ही इस्लाम धर्म का हिस्सा है। जो लोग इसको धर्म से जोड़ते हैं या किसी भी धर्म का टाइटल लगाते हैं। वो सरासर नाइंसाफी का काम करके जनता को भ्रमीत करने का काम कर रहे हैं।
मौलाना ने आगे कहा कि भारत के सभी मदरसों में रोजाना छात्र व छात्राओं को योगा कराना चाहिए। पहले योगा करने की ट्रेनिंग दी जाए, सिखाया जाए, फिर उनसे योगा का कार्य कराया जाए। इस काम को ये समझ कर करें की ये हमारे सिलेबस का एक पाठ है।