मऊ का महासंग्राम: बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे और अशोक सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर, अब्बास को जीत की आस

Edited By Mamta Yadav,Updated: 27 Feb, 2022 12:04 PM

mau bahubali mukhtar ansari s son and ashok singh s reputation at stake

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता मऊ से पांच बार के जिस बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के जेल में होने की बात कहकर उत्‍तर प्रदेश सरकार की कानून-व्यवस्था की सराहना करते रहे हैं, वह अंसारी तो इस बार चुनाव...

मऊ: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता मऊ से पांच बार के जिस बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के जेल में होने की बात कहकर उत्‍तर प्रदेश सरकार की कानून-व्यवस्था की सराहना करते रहे हैं, वह अंसारी तो इस बार चुनाव मैदान से बाहर हैं लेकिन उनके बेटे अब्बास अंसारी मऊ से चुनावी जंग में उतरे हैं। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने 2017 में आपराधिक छवि का हवाला देकर मुख्तार अंसारी से किनारा कर लिया था लेकिन इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के जरिये समाजवादी पार्टी गठबंधन ने मुख्तार के 30 वर्षीय पुत्र अब्‍बास अंसारी को अपना उम्मीदवार बनाया है और वह अपने पिता की विरासत को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं।

अब्बास की राह रोकने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अशोक सिंह, बहुजन समाज पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर और कांग्रेस ने माधवेंद्र बहादुर सिंह को मैदान में उतारा है। समाजवादी पार्टी के गठबंधन में शामिल भारतीय जनता पार्टी की पूर्व सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने पहले मुख्तार अंसारी को ही अपना उम्मीदवार घोषित किया था लेकिन सातवें चरण वाले क्षेत्रों में नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद मुख्तार के पुत्र अब्‍बास अंसारी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल कर यह भी साफ कर दिया कि मुख्तार अंसारी इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे।

उप्र की चुनावी जनसभाओं में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा समेत भाजपा के लगभग सभी बड़े नेता अंसारी के जेल में होने और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के उनकी संपत्तियों पर बुलडोजर चलवाने की चर्चा कर राज्‍य को अपराधियों से मुक्त करने का दावा करते हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अशोक सिंह और बसपा उम्मीदवार भीम राजभर भी मुख्तार अंसारी की आपराधिक छवि को ही मुद्दा बनाकर मऊ को माफिया से मुक्त करने की अपील कर रह हैं लेकिन अब्‍बास अंसारी पत्रकारों से बातचीत में उल्‍टे सत्तारूढ़ भाजपा पर ही एक जाति विशेष के माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाते हैं। वह दावा करते हैं कि सत्ता में बैठे लोगों के संरक्षण में अंडरवर्ल्‍ड डॉन दाऊद इब्राहिम के सहयोगी ब्रजेश सिंह ने 2001 में मेरे पिता (मुख्तार अंसारी) पर गोलियों की बौछार की थी।

अब्बास ने राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हवाले से यह भी दावा किया कि पांच वर्ष में उत्‍तर प्रदेश में अपराध की दर में भारी वृद्धि हुई है। अंसारी सभाओं में कहते कि मुख्तार अंसारी, ओमप्रकाश राजभर और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आशीर्वाद से वह लोगों के बीच खड़े हैं। गौरतलब है कि विभिन्न आपराधिक मामलों में पिछले 2005 से जेल में बंद मुख्तार अंसारी को पिछले वर्ष अप्रैल माह में उत्‍तर प्रदेश सरकार ने अदालती लड़ाई के बाद पंजाब की रोपण जेल से लाकर बांदा जेल में बंद किया है।

सूत्रों के अनुसार मुख्तार बांदा जेल से भी बेटे के चुनाव पर नजर रखे हैं और उनके पुराने समर्थक मऊ में सक्रिय हो गये हैं। हालांकि इस बार मुख्तार के बड़े भाई बसपा सांसद अफजाल अंसारी मऊ क्षेत्र में चुनाव प्रचार में कहीं नहीं दिख रहे हैं और न ही वह अपने दल बसपा के किसी कार्यक्रम में आये और न ही अपने भतीजे अब्‍बास अंसारी के लिए। बसपा कार्यकर्ता अच्‍छेलाल ने दावा किया कि अफजाल अंसारी बसपा के प्रति वफादार हैं और इन दिनों उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं है। अब्बास के चचेरे भाई सुहेब अंसारी गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं। अब्‍बास अंसारी सिर पर लाल टोपी और गले में सुभासपा का पीला गमछा पहने मतदाताओं के बीच सुबह से शाम तक प्रचार कर रहे हैं। सभाओं में वह भारी बहुमत से चुनाव जीतने का दावा करते हैं।

विपक्षी दल अपने प्रचार में मुख्तार अंसारी के आपराधिक अतीत की बात जरूर करते हैं। भाजपा उम्मीदवार अशोक सिंह के भाई अजय प्रकाश सिंह ' मन्ना ' की वर्ष 2009 में गाजीपुर तिराहे पर गोली मारकर हत्या कर दी गई और यह मामला उच्‍च न्‍यायालय में लंबित है। मुख्तार अंसारी मन्ना हत्याकांड में आरोपी हैं। अशोक सिंह मतदाताओं के बीच गुहार लगा रहे हैं कि उनके वोट से मुख्तार अंसारी 25 वर्षों से ताकत हासिल कर जेल से अपराध करा रहा है और अब अगर उसकी दूसरी पीढ़ी भी यह ताकत पा गई तो अपराध की रफ्तार दोगुना हो जाएगी। विरासत की सियासी लड़ाई लड़ रहे अब्‍बास अंसारी पर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन उनकी असली पहचान मुख्तार अंसारी के बेटे के तौर पर ही पूरे इलाके में हैं। मुख्तार के जेल में रहते हुए पिछले दो चुनावों में अब्‍बास ही पिता का चुनावी प्रबंधन संभालते रहे हैं।

मऊ विधानसभा क्षेत्र को लेकर इलाके में कई मिथक हैं। 1952 के बाद हुए विधानसभा चुनावों में मऊ से चुनाव जीतने वाला कोई भी विधायक दोबारा चुनाव नहीं जीत सका लेकिन मुख्तार अंसारी ने इस सीट से 1996 से लगातार पांच बार चुनाव जीतकर एक मिथक तोड़ा है। खास बात यह कि यहां सिर्फ एक चुनाव मुख्तार जेल से बाहर रहकर जीते और बाकी चार बार वह जेल में रहते हुए चुनाव जीते। भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार के चुनाव प्रचार में सक्रिय मऊ के जिला पंचायत अध्यक्ष मनोज राय ने कहा कि ''हर चीज का अंत होता है और इस बार चुनाव मैदान से बाहर होकर मुख्तार अंसारी ने खुद ही अपना मिथक तोड़ दिया और यहां उनके वही बेटे चुनाव मैदान में हैं जिन्हें 2017 के चुनाव में घोसी की जनता धूल चटा चुकी है। दस मार्च को जनता का ऐतिहासिक फैसला नया कीर्तिमान गढ़ेगा।''

मऊ विधानसभा क्षेत्र में करीब पौने पांच लाख मतदाता हैं जिनमें एक लाख 25 हजार मुस्लिम मतदाता, एक लाख दलित मतदाता, 55 हजार राजभर, 45 हजार यादव, 40 हजार नोनिया-चौहान, 20 हजार क्षत्रिय और करीब 20 हजार भूमिहार-ब्राह्मण मतदाता हैं और बाकी में अन्य जातियां हैं। मऊ में अंतिम चरण में सात मार्च को मतदान होगा। मऊ का यह पहला चुनाव है जब प्रभावी राजनीतिक दलों से सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में है।

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