Edited By Ajay kumar,Updated: 31 May, 2023 06:23 PM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चियों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों में खतरनाक और चौकाने वाली वृद्धि को देखते हुए अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि बच्चे बलात्कार के कृत्य से अनभिज्ञ होते हैं और प्रतिरोध करने में सक्षम भी नहीं होते हैं।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चियों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों में खतरनाक और चौकाने वाली वृद्धि को देखते हुए अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि बच्चे बलात्कार के कृत्य से अनभिज्ञ होते हैं और प्रतिरोध करने में सक्षम भी नहीं होते हैं। वे उन लालची जानवरों के लिए आसान शिकार बन जाते हैं जो लड़कियों को लुभाने की बेईमान, धोखेबाज और कपटी कला का प्रदर्शन करने में पारंगत होते हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे अपराधी सभ्य समाज के लिए खतरा हैं। उन्हें निर्दयतापूर्वक और कठोरतम सजा दी जानी चाहिए। उक्त आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकलपीठ ने पोक्सो अधिनियम की धारा 5/6 और आईपीसी की धारा 376 के तहत दर्ज 7 साल की बच्ची का यौन उत्पीड़न करने वाले आरोपी न की जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिया।

10 रूपए का लालच देकर बच्ची से दुष्कर्म मामला
मामले के अनुसार आरोपी राजेश के खिलाफ पीड़िता की मां ने पुलिस थाना दौकी, आगरा में जनवरी 2022 में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि अभियुक्त ने उनकी बेटी को 10 रूपए का लालच देकर उसके साथ दुष्कर्म किया। अभियुक्त के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरोपी को मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट में अभियोजन पक्ष के आरोप का समर्थन नहीं करती है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
इस पर कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने विभिन्न फैसलों में यह माना है कि अदालतें यौन उत्पीड़न की पीड़िता की एकमात्र गवाही पर भरोसा कर सकती हैं, जिससे आरोपी को दोषी ठहराया जा सके। जब पीड़िता की गवाही में आत्मविश्वास झलकता हो तो उस पर संदेह का प्रश्न नहीं उठता है। अंत में पोक्सो अधिनियम की धारा 29 के तहत आरोपी के खिलाफ तैयार की गई धारणा तथा सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए कोर्ट ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया।