लॉकडाउन बढ़ा तो नहीं दे पाएंगे उद्यमी कर्मचारियों को वेतन: मनमोहन अग्रवाल

Edited By Ajay kumar,Updated: 10 Apr, 2020 01:16 PM

entrepreneurs will not be able to pay salaries to lockdown manmohan aggarwal

लॉकउाउन से गरीबों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है तो वहीं लघु और मध्यम उद्योगों पर भी संकट में आ गय है।

लखनऊ: लॉकउाउन से गरीबों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है तो वहीं लघु और मध्यम उद्योगों पर भी संकट में आ गय है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सर्वे में साफ हुआ है कि यदि लॉकडाउन बढ़ा तो सिर्फ 16.6 फीसदी उद्यमी ही कर्मचारियों को वेतन देने की स्थिति में होंगे। उद्योग जगत लॉकडाउन में मिली सरकारी और बैंकिंग सहायता से भी संतुष्ट नहीं है।

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बाता दें कि आईआईए ने बड़े आर्थिक पैकेज की मांग की है। इस सर्वे से यह बात निकल कर आई है कि निजी उद्योगों और फैक्टरिेयों में काम काने वाले श्रमिकों को अप्रैल माह में वेतन के लाले पड़ सकते है। आईआईए ने प्रदेश के लगभग 500 उद्यमियों के बीच ऑनलाइन सर्वे किया है। सर्वे के माध्यम से लॉकडाउन के प्रभाव व भविष्य की परिस्थितियों का आंकलन किया गया। सभी कारोबारियों से 12-12 सवाल पूछे गए थे।

यदि लॉकडाउन बढ़ता है तो 83.4 प्रतिशत कारोबरियों ने अप्रैल महीने का वेतन देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। सिर्फ 16.6 फीसदी ने ही इसे लेकर हामी भरी है। कारोबारी बैंकों से मिल रही मदद से भी बेहद ना खुश हैं। सिर्फ 28 फीसदी ने यह माना है कि बैंक वर्किंग कैपिटल के स्तर पर उनकी मदद कर रहे हैं। 72 प्रतिशत ने इससे इनकार किया है। 77 प्रतिशत कारोबारियों का मानना है कि लॉकडाउन के बाद सरकार अपने राहत पैकेज को आगे नहीं बढ़ाएगी।

मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि 34 फीसदी उद्यमियों का यह मानना है कि उनकी बिक्री 50 फीसदी से ज्यादा कम हो सकती है। 9 फीसदी लोगों ने सिर्फ 10 प्रतिशत तक बिक्री कम होने की संभावना जताई है, जबकि 6 फीसदी लोगों का कहना है कि लॉकडाउन का प्रभाव नहीं पड़ेगा। 40.3 प्रतिशत उद्यमियों ने बड़े घाटे की आशंका जताई है।

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