Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अखिलेश ने किया स्वागत, बोले- 'अब सामने आएगी चुनावी बॉन्ड से जुड़े लोगों की सूची'

Edited By Pooja Gill,Updated: 11 Mar, 2024 04:16 PM

electoral bond akhilesh welcomed the decision

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनावी बॉन्ड का विवरण निर्वाचन आयोग को देने के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध करने संबंधी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अर्जी उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने पर खुशी जाहिर की...

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनावी बॉन्ड का विवरण निर्वाचन आयोग को देने के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध करने संबंधी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अर्जी उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, ‘‘पूरे देश की जनता को इस बात की खुशी है कि उच्चतम न्यायालय के माध्यम से कम से कम वह सूची (चुनावी बॉन्ड से जुड़े लोगों की सूची) सामने आ जाएगी। इस सूची से यह पता लग जाएगा कि चुनावी बॉन्ड किन-किन लोगों से सम्बन्धित है।''

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अखिलेश यादव ने उठाए ये सवाल
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि अब सवाल यह है कि वह सूची सार्वजनिक की जाएगी या नहीं। हम और आप जान पाएंगे या नहीं। भाजपा तो जानती है कि उसे कहां से चंदा मिला है। यदि हमें चंदा मिला होगा तो हमें पता ही होगा। जनता जान पाएगी या नहीं, यह सबसे बड़ा सवाल है।''

उच्चतम न्यायालय ने दिए ये निर्देश
उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने चुनावी बॉन्ड संबंधी जानकारी का खुलासा करने के लिए समय सीमा बढ़ाए जाने के अनुरोध सम्बन्धी एसबीआई की याचिका सोमवार को खारिज कर दी और उसे 12 मार्च को कामकाजी घंटे समाप्त होने तक निर्वाचन आयोग को चुनावी बॉन्ड संबंधी विवरण उपलब्ध कराने का आदेश दिया। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने निर्वाचन आयोग को भी एसबीआई द्वारा साझा की गई। जानकारी 15 मार्च को शाम पांच बजे तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया। पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे।

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SBI को सिर्फ सीलबंद लिफाफा खोलना हैः पीठ
सुनवाई के दौरान, पीठ ने एसबीआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की इन दलीलों पर गौर किया कि विवरण जुटाने और उनका मिलान करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है क्योंकि जानकारी इसकी शाखाओं में दो अलग-अलग कक्षों में रखी गई थी। उन्होंने कहा कि अगर मिलान प्रक्रिया न करनी हो तो एसबीआई तीन सप्ताह के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा कर सकता है। पीठ ने कहा कि उसने एसबीआई को चंदा देने वालों और चंदा प्राप्त करने वालों के विवरण का अन्य जानकारी से मिलान करने का निर्देश नहीं दिया है। एसबीआई को सिर्फ सीलबंद लिफाफा खोलना है, विवरण एकत्र करना है और निर्वाचन आयोग को जानकारी देनी है। पीठ ने बैंक से यह भी पूछा कि उसने शीर्ष अदालत के 15 फरवरी के फैसले में दिए गए निर्देशों के अनुपालन के लिए क्या कदम उठाए हैं।

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15 फरवरी को रद्द की गई चुनावी बॉन्ड योजना
संविधान पीठ ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था और इसे ‘‘असंवैधानिक'' करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने एसबीआई की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए समयसीमा 30 जून तक बढ़ाए जाने का अनुरोध किया गया था। पीठ ने एक अलग याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया है।

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