हाईकोर्ट का अहम फैसला, कहा- बिना विभागीय जांच के सेवा से बर्खास्तगी असंवैधानिक

Edited By Ajay kumar,Updated: 12 Apr, 2024 09:36 PM

dismissal from without departmental inquiry is unconstitutional highcourt

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सीआईएसएफ में बतौर हेड कांस्टेबल/ कमान्डो कार्यरत रहे दो याचीगण की विशेष अपील को मंजूर कर लिया है। न्यायालय की विशेष अपील बेंच ने आदेश में कहा है कि किसी की सेवा से बर्खास्तगी बिना विभागीय जांच व सुनवाई के ...

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सीआईएसएफ में बतौर हेड कांस्टेबल/ कमान्डो कार्यरत रहे दो याचीगण की विशेष अपील को मंजूर कर लिया है। न्यायालय की विशेष अपील बेंच ने आदेश में कहा है कि किसी की सेवा से बर्खास्तगी बिना विभागीय जांच व सुनवाई के करना संविधान के अनुच्छेद 311 के खिलाफ है। कोर्ट ने इसी के साथ दोनों अपीलार्थियों की अपील मंजूर कर ली है तथा उनके सेवा से बर्खास्तगी को अवैध करार देते हुए उन्हें सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है।

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यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र व जस्टिस एस क्यू एच रिजवी की खंडपीठ ने परमजीत सिंह व जितेंद्र सिंह द्वारा दाखिल विशेष अपील पर पारित किया है। इनके बर्खास्तगी के खिलाफ दाखिल याचिका को एकल जज ने खारिज कर दिया था। हेड कांस्टेबलों के अधिवक्ता आलोक कुमार यादव व वशिष्ठ दूबे का तकर् था कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को बिना जांच किए अथवा सुनवाई का अवसर दिए वगैर सेवा से बर्खास्त करना असंवैधानिक है।      

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अदालत ने हेड कांस्टेबलों की विशेष अपील को मंजूर कर लिया है तथा बर्खास्तगी को असंवैधानिक करार देते हुए उन्हें सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है। कोटर् ने उनके समस्त सेवा लाभों समेत बहाली का निर्देश दिया है। अपीलार्थियों के खिलाफ बलात्कार का आरोप था। उन्होंने पांच महिलाओं को नरौरा परमाणु संयंत्र, अनूप शहर, बुलंदशहर में बिना अनुमति प्रवेश में 3 सितंबर 2004 को पकड़ा था। इसके बाद उन महिलाओं ने 12 सितंबर 2004 को बलात्कार का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस केस में दोनों याची साक्ष्य के अभाव में बरी हो गए थे। बर्खास्तगी के खिलाफ इनकी विभागीय अपील व रिवीजन खारिज हो गई थी।

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