Chaitra Navratri 2021: कल से शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्रि, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 12 Apr, 2021 04:14 PM

chaitra navratri is starting from tomorrow know the

हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल, दिन मंगलवार से शुरू हो रहे हैं। नवरात्रि का त्योहार नौ दिनों तक देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की...

प्रयागराज: हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल, दिन मंगलवार से शुरू हो रहे हैं। नवरात्रि का त्योहार नौ दिनों तक देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस नवरात्रि में जो भी माता रानी की पूजा करता है, उसके सारे कष्टों का निवारण होता है। प्रयागराज की कल्याणी देवी मंदिर के पुजारी पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि इस साल चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं और जिनका समापन 21 अप्रैल को होगा।

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त:- 
● 13 अप्रैल सुबह 5:58 बजे से 9:14 बजे तक।
● दूसरा अभजीत मुहूर्त दोपहर11:30 से 12:35।
● कुल अवधि- 4 घंटे 16 मिनट। 

पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला के अनुसार ले पूजा सामग्री और करें कलश स्थापना:-
● चावल, सुपारी, रोली, जौ, सुगन्धित पुष्प, केसर, सिन्दूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार सामग्री, दूध दही, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, वस्त्र, आभूषण यज्ञोपवीत, मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र, दूर्वा, इत्र, चन्दन, चौकी, लाल वस्त्र, धूप, दीप, फूल, स्वच्छ मिट्टी,थाली, जल, ताम्र कलश, रूई, नारियल आदि।

 नवरात्रि व्रत करने कि विधि- पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला के अनुसार:-
● नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें।
● पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें।
● दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं।
● शाम के समय मां की आरती उतारें।
● सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें.फिर भोजन ग्रहण करें।
● हो सके तो इस दौरान अन्‍न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें।
● अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन कराएं. उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें।
● अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें।

पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया किस दिन होगी कौनसी देवी की पूजा:-
●1 3 अप्रैल नवरात्रि का पहला दिन: इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। माता शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री हैं। माता के इस स्वरूप की सवारी नंदी हैं। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बायें हाथ में कमल का फूल लिये हैं। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है।
● 14 अप्रैल नवरात्रि का दूसरा दिन: इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी माँ दुर्गा का ही रूप हैं। ऐसी मान्यता है कि जब माता पार्वती अविवाहित थीं तब उनका ब्रह्मचारिणी रूप पहचान में आया था। 
● 15 अप्रैल नवरात्रि का तीसरे दिन: इस दिन की देवी मां चंद्रघण्टा हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती और भगवान शिव के विवाह के दौरान उनका यह नाम चंद्रघण्टा पड़ा था। शिव के मस्तक पर स्थापित आधा चंद्रमा इस बात का साक्षी है।
● 16 अप्रैल नवरात्रि का चौथा दिन: इस दिन मां कुष्माण्डा की पूजा का विधान है। शास्त्रों में मां के इस स्वरूप का वर्णन कुछ इस प्रकार किया गया है कि माता कुष्माण्डा शेर की सवारी करती हैं और उनकी आठ भुजाएं हैं। मां के इसी रूप के कारण पृथ्वी पर हरियाली है। 
● 17 अप्रैल नवरात्रि का पांचवां दिन: इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है। माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है। इसलिए स्कंद की माता होने के कारण मां का यह नाम पड़ा है। मां के इस स्वरूप की चार भुजाएँ हैं। माता अपने पुत्र को लेकर शेर की सवारी करती हैं।
● 18 अप्रैल नवरात्रि के छठा दिन: इस दिन मां कात्यायिनी की पूजा की जाएगी। मां कात्यायिनी दुर्गा माता का उग्र रूप है। जो साहस का प्रतीक है. मां शेर पर सवार होती हैं और इनकी चार भुजाएं हैं। इस बार घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं मां अम्बे दुर्गा सरस्वती।
● 19 अप्रैल नवरात्रि का सातवां दिन: इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। ये माता का उग्र रूप है. पौराणिक कथा के अनुसार जब मां पार्वती ने शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध किया था तब उनका रंग काला हो गया था।
● 20 अप्रैल नवरात्रि का आठवां दिन इस दिन मां महागौरी की अराधना की जाती है। माता का यह रूप शांति और ज्ञान का प्रतीक है। इस दिन अष्टमी भी मनाई जाएगी।
● 21 अप्रैल नवरात्रि का नौवां और अंतिम दिन ये दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। ऐसा मान्यता है कि जो कोई माँ के इस रूप की आराधना करता है उसे सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान हैं।

नवरात्र की समाप्ति पर कन्याओं की की करें पूजा:-
● नवरात्र के आखिरी यानि की नौवें दिन कन्या पूजन किया जाता है। इस दिन कन्याओं को अपने घर बुलाकर भोजन कराया जाता है। दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को नौ देवी स्वरूप समझकर इनका अपने घर स्वागत किया जाता है।

पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बताया चैत्र नवरात्रि पूजा के फायदे:-
● धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
● वंश आगे बढ़ता है। 
● शत्रुओं का नाश होता है। 
● दुःख, रोग व बीमारियों से छुटकारा मिलता है। 
● मोक्ष की प्राप्ति होती है। 


 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!