Edited By Mamta Yadav,Updated: 28 Oct, 2024 05:30 AM
उत्तर प्रदेश में मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के नतीजे कुछ भी हों मगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सैफई परिवार के दामाद अनुजेश यादव को प्रत्याशी बना कर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर ही ली।
Mainpuri News: उत्तर प्रदेश में मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के नतीजे कुछ भी हों मगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सैफई परिवार के दामाद अनुजेश यादव को प्रत्याशी बना कर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर ही ली।
अनुजेश यादव से सैफई परिवार की रिश्तेदारी खत्म
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव हों या उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव, उन्हें न चाहते हुए भी तेजप्रताप यादव की चुनावी सभाओं में मंच से भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव का नाम लेना ही पड़ता है, भले ही वह रिश्तेदारी के ऊपर पार्टी हितों की बात करते हों। रविवार को सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव, डिंपल यादव, विधायक राजू यादव, बृजेश कठेरिया समेत कई नेता अनुजेश यादव के की मां उर्मिला यादव के प्रभाव वाले क्षेत्र घिरोर के यादव बाहुल्य गांव शाहजहांपुर पंहुचें और चुनावी सभा मे शिवपाल सिंह यादव ने एलान किया कि अनुजेश यादव से सैफई परिवार की रिश्तेदारी खत्म और वह कभी समाजवादी पार्टी में नहीं लिए जायेंगे। शिवपाल ने शाहजहांपुर में कहा कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी तेजप्रताप यादव चुनाव जीतेंगे और जिले के अधिकारी चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से करायें। आजमगढ़ से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि भाजपा वाले चुनाव से पहले तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं पर हर बार की तरह करहल से सपा प्रत्याशी तेजप्रताप यादव ही जीतेंगे।
BJP की चाल से करहल का चुनाव बहुत रोमांचक
उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के जीजा हैं और इस रिश्ते से वह सपा प्रत्याशी तेजप्रताप यादव के फूफा हैं। करहल का चुनाव बहुत रोमांचक हो गया है। चुनाव प्रचार के प्रथम चरण में प्रचार के केंद्र बिंदु में रिश्तेदारी है और लोगों में यह चर्चा का विषय है कि करहल के उपचुनाव में लालू यादव के दामाद चुनाव जीतेंगे या नेता जी मुलायम सिंह यादव के दामाद । इस सब के बीच करहल विधानसभा क्षेत्र के यादव मतदाता पशोपेश में हैं कि दोनों अपने हैं और किस अपने को अपनाया जाए। फिलहाल करहल विधानसभा सीट का चुनाव अनुजेश यादव के चुनाव मैदान में आने से सैफई परिवार के लिए कठिन जरूर है, पर आगे ऊँट किस करवट बदलेगा यह यादव मतदाताओं के धुर्वीकरण पर निर्भर करेगा।