Edited By Umakant yadav,Updated: 09 Jun, 2021 11:16 PM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने अहम आदेश देते हुए बाराबंकी के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अरविंद चतुर्वेदी व सीडीओ मेघा रूपम समेत खंड विकास अधिकारी, ग्राम्य विकास अधिकारी, थानाध्यक्ष देवां व एसआई जैद अहमद को बड़ी राहत दी है।
लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने अहम आदेश देते हुए बाराबंकी के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अरविंद चतुर्वेदी व सीडीओ मेघा रूपम समेत खंड विकास अधिकारी, ग्राम्य विकास अधिकारी, थानाध्यक्ष देवां व एसआई जैद अहमद को बड़ी राहत दी है। निचली अदालत ने इन अफसरों को विचरण के लिए तलब किया था इस आदेश के विरुद्ध चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने फिलहाल केस से सम्बंधित पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खाँ की पीठ ने राज्य सरकार की तरफ से दायर पुनरीक्षण याचिका पर दिया है। इसमें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के 17 फरवरी के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही पेश हुए। दरअसल, स्थानीय निवासी राम प्रताप के प्रार्थना पत्र पर सीजेएम ने बीडीओ अनूप कुमार सिंह व ग्राम्य विकास अधिकारी बीना के खिलाफ वादी पर हमला करने इत्यादि आरोपों में एफआईआर दर्ज करने का आदेश बाराबंकी जिले के देवां थाने को दिया था। उक्त एफआईआर पर जांच के दौरान घटना की जांच सीडीओ द्वारा भी की गई। सीडीओ ने अपनी जांच में राम प्रताप के आरोपों को बेबुनियाद बताया।
उधर, पुलिस ने सीडीओ की रिपोटर् को देखते हुए, विवेचना के उपरांत अभियुक्तों को क्लीन चिट देते हुए, फाइनल रिपोटर् लगा दी। उक्त फाइनल रिपोटर् के विरुद्ध एक प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र वादी द्वारा दाखिल किया गया। सीजेएम ने उक्त प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लेते हुए, उपरोक्त सभी अधिकारियों को तलब कर लिया। राज्य सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही का कहना था कि सीजेएम का तलबी आदेश मनमाना और गैर कानूनी है। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारी होने के नाते इन सभी को सीआरपीसी की धारा 197 के तहत संरक्षण प्राप्त है। न्यायालय ने मामले की सभी परिस्थितियों पर गौर करने के पश्चात सीजेएम कोटर् के समक्ष चल रही उक्त कार्रवाई पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।