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1978 के संभल दंगे में आजम खान की भूमिका अहम... फिर से हो जांच, BJP विधायक आकाश सक्सेना का चौंकाने वाला खुलासा

Edited By Mamta Yadav,Updated: 20 Jan, 2025 01:31 PM

azam khan s role in the 1978 sambhal riots was important bjp mla

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान इन दिनों सीतापुर जेल में बंद है। प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद उन पर 100 के लगभग मुकदमे दर्ज हुए थे उनमें कई मुकदमों में सजा सुनाई जाने के बाद आजम खान को सीतापुर जेल भेज दिया गया था। इस बीच उत्तर...

Rampur News, (रवि शंकर): समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान इन दिनों सीतापुर जेल में बंद है। प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद उन पर 100 के लगभग मुकदमे दर्ज हुए थे उनमें कई मुकदमों में सजा सुनाई जाने के बाद आजम खान को सीतापुर जेल भेज दिया गया था। इस बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के 1978 संभल दंगों पर बयान देने के बाद से ही शासन, प्रशासन 47 वर्ष पूर्व संभल में हुए दंगों की जांच में जुट गया। इस बीच सामने आया की 1993 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद पहली ही कैबिनेट मीटिंग में 1978 में हुए संभल दंगों के 8 मामलों को वापस लेने का निर्णय हुआ था।
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आजम खान की भूमिका की जांच की मांग
अब इसी मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी नेता और रामपुर से नगर विधायक आकाश सक्सेना उर्फ हनी ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान को लेकर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने संभल दंगों के आरोपियों के मुकदमे वापस करने के लिए आजम खान को जिम्मेदार ठहराते हुए आजम खान की भूमिका की भी जांच किए जाने की मांग उठाई है। अब अगर शासन आकाश सक्सेना की मांग पर जांच करता है तो संभल दंगों की जांच की आंच सीतापुर जेल में बंद आजम खान तक पहुंच जाएगी।
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सपा सरकार ने 8 मुकदमें लिए थे वापस...अब सारी फाइलें गायब
भाजपा नेता व रामपुर नगर विधायक आकाश सक्सेना ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि संभल के जो दंगे हैं उसकी बारीकी से जांच की जरूरत है। 1978 की जो देंगे थे अगर हम उसकी बात करें तो 1993 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद दिसंबर में सरकार बनती है और दिनांक 23 दिसंबर 1993 को विशेष सचिव न्याय विभाग उत्तर प्रदेश सरकार आर डी शुक्ला द्वारा जिलाधिकारी मुरादाबाद को एक पत्र जारी किया गया जिसमें 30 मार्च 1978 में हुए दंगों के संदर्भ में पंजीकृत 8 मुकदमों की वापसी का प्रस्ताव किया गया था। आरोपियों के आठ मुकदमों को वापस लिया जाता हैं तो सीधा सा मेरा सवाल यह है कि आजम खान ने ही उन दंगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही सबसे पहले कैबिनेट की मीटिंग में इस प्रस्ताव को उन्होंने लाया था कि दंगों के जो आठ महत्वपूर्ण मुकदमे थे उनको सरकार के द्वारा वापस लिया जाए और उन्होंने ऐसा किया। उसके बाद से वह सारी फाइलें गायब हैं तो यह बहुत गंभीर विषय हैं तो इसमें बहुत बारीकी से जांच होनी चाहिए। जांच में यह देखने को मिलेगा कि आजम ने किस तरीके से यह कृत्य किए थे।
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दंगे कराने से लेकर आरोपियों को छुड़ाने तक आजम भूमिका अहम
आकाश सक्सेना ने कहा, आजम का और दंगों का बहुत पुराना वास्ता रहा है चाहे यह संभल के दंगे रहे हो या मुजफ्फरनगर के दंगे रहे हो। मुजफ्फरनगर के दंगे कराने से लेकर वहां के आरोपियों को छुड़ाने तक आजम खान की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जिस तरीके के कृतय आजम खान ने मुजफ्फरनगर के दंगों में किए थे अगर हम उसी तरीके से चीजों को देखें जो संभल के दंगे हैं उसमें आजम खान की बहुत बड़ी भूमिका है।
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आप आजम खान पर बहुत बड़ा आरोप लगा रहें हैं?
भाजपा विधायक ने कहा, जिस तरीके से रामपुर में आजम खान के मुकदमों की पैरवी की जो मुकदमे आजम खान पर चल रहे हैं उसकी जो मै पैरवी कर रहा हूं अगर हम देखें तो यह सिर्फ 50% मुकदमे हैं 50% से ज्यादा इस तरह के मुकदमे हैं जिसमें आजम पूरे तरीके से इंन्वॉल्व है।

यह किस मैटर के मुकदमे हैं... इस पर आकाश सक्सेना ने बताया कि सरकार अगर किसी के भी मुकदमे वापस लेती है तो मुकदमों की गंभीरता देखी जाती है और सीधा सा नियम है हाई कोर्ट से अनुमति लेने के बाद और मुकदमों की गंभीरता देखी जाती है। सरकार द्वारा जो मुकदमे वापस लिए जाते हैं वह धरने के मुकदमे होते हैं, प्रदर्शन के मुकदमे होते हैं लेकिन कोई मुकदमा ऐसा वापस नहीं होता जिसमें सैकड़ो लोगों का कत्ल किया हो और उसके बाद उन मुकदमों को वापस लिया हो तो पूरे तरीके से गलत और आजम खान के दबाव में आकर यह मुकदमे वापस लिए गए हैं।

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