Edited By Ramkesh,Updated: 18 Feb, 2025 03:44 PM
![atala masjid dispute hearing postponed in district court](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_15_42_08735760058-ll.jpg)
जौनपुर की अटाला मस्जिद विवाद मामले में आज जिला न्यायालय में सुनवाई नहीं हो सकी। कोई ने इसे लेकर नई तारीख 15 अप्रैल निर्धारित की है। आप को बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने अटाला मस्जिद मामले को 115 CPC के तहत कोर्ट में रिवीजन फाइल की है। इस अपील के खिलाफ...
जौनपुर (जावेद अहमद): जौनपुर की अटाला मस्जिद विवाद मामले में आज जिला न्यायालय में सुनवाई नहीं हो सकी। कोई ने इसे लेकर नई तारीख 15 अप्रैल निर्धारित की है। आप को बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने अटाला मस्जिद मामले को 115 CPC के तहत कोर्ट में रिवीजन फाइल की है। इस अपील के खिलाफ हिंदू पक्ष ने आपत्ति दायर की है। दरअसल, स्वराज वाहिनी संगठन ने इसे प्राचीन अटाला देवी मंदिर बताया है, जबकि मस्जिद प्रबंधन इन दावों को खारिज कर रहा है। इसे लेकर स्वराज वाहिनी संगठन ने हाई कोर्ट में याचिका डाली थी। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद में मंदिर से जुड़े कई चिन्ह मौजूद है। इसमें त्रिशूल, फूल होने की बात कही गई है। इसके साथ ही दावे में पुरातत्व विभाग के निदेशक की रिपोर्ट और विभिन्न पुस्तकों का भी हवाला दिया गया।
अधिवक्ता ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, प्रबंधन कमेटी अटाला मस्जिद के खिलाफ दावा पेश किया गया है। अजय प्रताप सिंह ने बताया कि वाद संपत्ति अटाला मस्जिद मूल रूप से अटाला माता मंदिर है। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार अटाला माता मंदिर का निर्माण कन्नौज के राजा जयचंद्र राठौर ने करवाया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अटाला माता मंदिर को तोड़ने का आदेश फिरोज शाह ने दिया था, लेकिन हिंदुओं के संघर्ष के कारण मंदिर को तोड़ नहीं पाया।
उन्होंने कहा कि बाद में इब्राहिम शाह अतिक्रमण कर मंदिर का उपयोग मस्जिद के रूप में करने लगा। कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल ईबी हेवेल ने अपनी पुस्तक में अटाला मस्जिद की प्रकृति और चरित्र को हिन्दू बताया है। दावा है कि अटाला मस्जिद ही अटाला माता मंदिर का मूल भवन है जो कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन एक संरक्षित स्मारक है और एक राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है। हालांकि इसे लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के अपने- अपने दावे है। फिलहाल इस मामले की सुनवाई जिला न्यायालय में चल रही है। इसकी अगली सुनवाई 15 अप्रैल निर्धारित की गई है।