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मेडिकल कॉलेज में मूल निवासी आरक्षण के आधार पर नहीं मिलेगा प्रवेश, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले पर दिया ये फैसला

Edited By Ramkesh,Updated: 29 Jan, 2025 06:14 PM

admission will not be given in medical college on the basis

देश की सर्वोच्च अदालत ने राज्य कोटे के भीतर पोस्ट ग्रेजुएशन मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए सीटों के तहत दिए जाने वाले मूल निवास आरक्षण को खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से मूल निवासी आरक्षण को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए रद्द किया...

लखनऊ: देश की सर्वोच्च अदालत ने राज्य कोटे के भीतर पोस्ट ग्रेजुएशन मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए सीटों के तहत दिए जाने वाले मूल निवास आरक्षण को खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से मूल निवासी आरक्षण को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए रद्द किया है। ऐसे में अब इस आरक्षण का उपयोग छात्र एडमिशन के लिए नहीं कर पाएंगे। हालांकि कोर्ट ने इस दौरान यह साफ कर दिया जो स्टूडेंट मूल निवासी आरक्षण के तहर प्रवेश ले लिए हैं या जो ले चुके है। ऐसे अभ्यर्थियों पर किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट दिया ये आदेश
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि भारत के नागरिक और निवासी के रूप में "हमें कहीं भी निवास चुनने का अधिकार है, संविधान हमें पूरे भारत में शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश चुनने का अधिकार भी देता है। पीठ ने अपने बयान में आगे कहा कि "हम सभी भारत के निवासी हैं। हमारा केवल एक ही निवास स्थान है और वह है देश। हम सभी भारत के निवासी हैं। हमें भारत में कहीं भी निवास चुनने और उसका पालन करने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि कोई भी कहीं भी अपने प्रोफेशन/ व्यापर को आगे बढ़ा सकते है।

विशेष राज्यों के लिए छूट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि "किसी विशेष राज्य में रहने वालों के लिए" इस पर विचार किया जा सकता है, लेकिन यह केवल ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों पर ही लागू होगा। यह पोस्ट ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों पर लागू नहीं होगा। अदालत ने कहा कि "विशेषज्ञ डॉक्टरों के महत्व को देखते हुए, उच्च स्तर पर निवास के आधार पर आरक्षण अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा।

 योग्यता के आधार पर राज्यों को आवंटित हो कोटा
कोर्ट ने कहा कि पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश केवल योग्यता के आधार पर यानी कि NEET/ राष्ट्रीय पात्रता / प्रवेश परीक्षा के स्कोर पर हो न कि राज्यों में दिए जा रहे मूल निवासी कोटे के आधार पर।

डॉक्टर तन्वी बहल बनाम श्रेय गोयल मामले पर कोर्ट ने दिया फैसला
दरअसल, 2019 में डॉक्टर तन्वी बहल बनाम श्रेय गोयल और अन्य से जुड़े मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने PG मेडिकल प्रवेश में मूल निवास आधारित आरक्षण को असंवैधानिक बताया था।
बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जिस पर पहले 2 जजों की पीठ सुनवाई कर रही थी। बाद में पीठ ने मामला 3 जजों को सौंप दिया था। अब 3 जजों की पीठ ने ये फैसला दिया है।

क्या होता है मूल निवास आरक्षण
दरअसल, मूल निवासी आरक्षण, राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में उस राज्य के अधिवासियों को मिलता है। कुछ अपवादों को छोड़कर, राज्य सरकार की नौकरियां उस राज्य के ही रहने वाले लोगों के लिए आरक्षित होती हैं। इसमें प्रदेश में दूसरे राज्य के निवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है।

भारत में आरक्षण से जुड़ी कुछ विशेष जानकारी
- भारत में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज़्यादा नहीं हो सकती
- अनुसूचित जातियों (एससी) को 15%, अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को 7.5%, और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को 27% आरक्षण मिलता है।
- आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों को 10% आरक्षण मिलता है।
- ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने वाले लोगों की सालाना आय 8 लाख रुपये या उससे कम होनी चाहिए।
- ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने वाले लोगों के पास आय और संपत्ति प्रमाण पत्र होना जरूरी है।
 

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