'देव दीपावली' की छटा निहारने के लिए काशी में उमड़ा जनसैलाब, दिखा अद्भुत नजारा

Edited By Deepika Rajput,Updated: 13 Nov, 2019 09:56 AM

धर्म की नगरी वाराणसी की विश्व प्रसिद्ध 'देव दीपावली' की छटा निहारने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग जुटे। दीपावली मनाने से पहले मां गंगा की विश्व प्रसिद्ध आरती की गई और उसके बाद अमर जवान ज्योति पर शहीदों को नमन किया गया।

वाराणसीः धर्म की नगरी वाराणसी की विश्व प्रसिद्ध 'देव दीपावली' की छटा निहारने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग जुटे। दीपावली मनाने से पहले मां गंगा की विश्व प्रसिद्ध आरती की गई और उसके बाद अमर जवान ज्योति पर शहीदों को नमन किया गया। गंगा तट पर अलौकिक आरती और उसके बाद दीपों से टिमटिमाते घाटों पर आतिशबाजी का नाजारा देखते ही बना।
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गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि काशी में 'देव दीपावली' का पर्व सदि‍यों से मनाया जा रहा है। मगर पि‍छले दो दशक से घाटों पर असंख्‍य दीए जलाकर इसे और भी अलौकि‍क रूप दि‍या गया है। दोपहर के बाद से देश वि‍देश से लाखों की संख्‍या में पर्यटक और काशी के लोग घाट पर पहुंचे और दीए जलाएं।
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उन्होंने कहा कि असंख्‍य दीयों की टि‍मटि‍माहट ऐसी छटा बि‍खेरती है मानों आकाश गंगा के तारे काशी के घाटों पर उतर आए हो। वहीं ब्रिगेडियर हुकुम सिंह ने कहा कि उत्तर में आदि‍केशव घाट से लेकर दक्षि‍ण में अस्‍सी और रवि‍दास घाट तक जलते लाखों दीए स्‍वर्ग का आभास दि‍लाते हैं।
PunjabKesariकाशी में 'देव दीपावली' मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। जिसके अनुसार त्रिपुरासुर ने देवताओं को स्वर्ग लोक से बाहर निकाल दिया था। जिसके बाद सभी देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे। देवताओं का कष्ट दूर करने के लिए भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर दिया।
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भगवान शिव जी ने जिस दिन इस राक्षस का वध किया उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा थी। देवताओं ने त्रिपुरासुर के वध पर खुशी जाहिर करते हुए शिव की नगरी काशी में दीप दान किया। तभी से काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन 'देव दीपावली' मनाने की परंपरा चली आ रही है।

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