उन्नाव मामला: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- CBI सात दिनों के भीतर पूरी करे जांच

Edited By Deepika Rajput,Updated: 01 Aug, 2019 02:10 PM

unnao case will be out of up transfer supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन्नाव बलात्कार घटना से संबंधित सारे 5 मुकदमे दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने के साथ ही उनकी सुनवाई 45 दिन के भीतर पूरी करने का आदेश दिया।

लखनऊः सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन्नाव बलात्कार घटना से संबंधित सारे 5 मुकदमे दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने के साथ ही उनकी सुनवाई 45 दिन के भीतर पूरी करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने रायबरेली के निकट हुई सड़क दुर्घटना में जख्मी बलात्कार पीड़ित को अंतरिम मुआवजे के रूप में 25 लाख रुपये देने का भी आदेश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया है। जिसके चलते उन्नाव डीएम देवेंद्र पांडेय ने पीड़िता की मां के नाम चेक भेजा है, लेकिन परिवार को चेक शुक्रवार को प्राप्त होगा। 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इसके साथ ही केंद्रीय जांच ब्यूरो को ट्रक और बलात्कार पीड़ित की कार में हुई टक्कर की घटना की जांच 7 दिन के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया है। इस दुर्घटना में बलात्कार पीड़ित के परिवार के दो सदस्यों की मौत हो गई थी और पीड़ित तथा उसका वकील बुरी तरह जख्मी हो गए थे। पीठ ने स्पष्ट किया कि जांच ब्यूरो असाधारण परिस्थितियों में ही इस दुर्घटना की जांच पूरी करने की अवधि बढ़ाने का अनुरोध कर सकती है।

शीर्ष अदालत ने जांच ब्यूरो को लखनऊ स्थित केजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डाक्टरों से मौखिक रूप से मिले निर्देश का संज्ञान लिया कि दोनों घायल-पीड़ित और वकील-विमान से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान ले जाने की स्थिति में हैं। न्यायालय ने कहा कि इस बारे में घायलों के परिवार के सदस्यों से हिदायत मिलने के बाद ही कोई आदेश दिया जाएगा।

इससे पहले पीठ ने कहा था कि वह उन्नाव रेप पीड़िता के मामले को उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित किए जाने और पीड़िता के परिवार को सहायता राशि प्रदान करने को लेकर गुरुवार को ही फैसला सुनायेगी। शीर्ष न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार मामले में सीबीआई, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और न्यायालय के सलाहकार वी गिरि की विस्तृत दलीलें सुनीं। सॉलिसिटर जनरल ने पीड़िता का पत्र मुख्य न्यायाधीश तक पहुंचने में हुई देरी पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘हमें हर महीने 5000 से अधिक जनहित याचिकाएं मिलती हैं। इस माह हमें 6900 ऐसे पत्र मिले और हम पीड़िता का नाम नहीं जानते थे।

तुषार मेहता ने न्यायालय को 4 प्राथमिकियों का ब्योरा दिया। उन्होंने आरोपियों के बारे में जानकारी दी और पीड़िता और आरोपियों की ओर से दायर किए गए मामलों से भी अवगत कराया। इसके बाद न्यायमूर्ति गोगोई ने महाधिवक्ता से पूछा कि पीड़िता के साथ हुई दुर्घटना की जांच में सीबीआई को कितना समय लगेगा। इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैं सूचित करूंगा।' उन्होंने बताया कि सीबीआई ने तीन मामलों में आरोप पत्र दायर किया है।

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