राष्ट्रीय संपत्तियों की निजीकरण की नीति देश के लिये घातक: मायावती

Edited By Ajay kumar,Updated: 04 Aug, 2022 06:00 PM

policy of privatization of national assets dangerous for the country mayawati

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारों पर गरीबी, बेरोजगारी की समस्या के निदान में उदासीनता बरतने का आरोप लगाया है। मायावती ने गुरूवार को कहा कि बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पत्तियों का जिस धड़ल्ले से निजीकरण किया जा रहा...

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारों पर गरीबी, बेरोजगारी की समस्या के निदान में उदासीनता बरतने का आरोप लगाया है। मायावती ने गुरूवार को कहा कि बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पत्तियों का जिस धड़ल्ले से निजीकरण किया जा रहा है वह देश की बुनियाद को खोखला करने जैसा ही घातक है।

हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में पार्टी के क्रियाकलापों की समीक्षा करने के दौरान सुश्री मायावती ने गुरूवार को कहा कि बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पत्तियों का जिस धड़ल्ले से निजीकरण किया जा रहा है वह देश की बुनियाद को खोखला करने जैसा ही घातक है। देश की पूंजी को बेच कर बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के स्वार्थ के सहारे देश की लगभग 130 करोड़ गरीब जनता को बेसहारा नहीं छोड़ देना चाहिए। इसका नतीजा घातक होगा।

उन्होंने कहा कि हरियाणा, मध्य प्रदेश, यूपी का नाम आते ही वहाँ व्याप्त गरीबी,बेरोजगारी,जातिवादी व साम्प्रदायिक तनाव-हिंसा आदि की दुःखद तस्वीर सामने आ जाती है जबकि यहाँ इन राज्यों में वर्षों से कथित डबल इंजन की सरकारें होने के कारण उन राज्यों में बहुप्रचारित सरकारी विकास व स्मार्ट राज्य के सुखद जीवन की सुनहरी तस्वीर लोगों के सामने उभर कर आनी चाहिए थी।

सुश्री मायावती ने कहा कि कांग्रेस-शासित छत्तीसगढ़ व राजस्थान तथा आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में भी जन आपेक्षा के अनुसार लोगों की सबसे बड़ी समस्या अति-गरीबी व बेरोजगारी आदि को दूर करने के लिए रोजी-रोजगार के ज़रूरत का सही से व्यवस्था पूरी नहीं होने पर लोगों का वही बुरा हाल है जो देश के अन्य राज्यों में लगातार बना हुआ है। कर्नाटक में भी नफरती हिंसा व हत्या का दुष्चक्र अति-दुःखद है। सरकारों को संकीर्णता त्याग कर न्याय-आधारित कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है।

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र व उसका देखादेखी अधिकतर राज्यों की सरकारें भी लोगों की रोजी-रोटी तथा महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी आदि के मामले में उतनी चिन्तित, गंभीर व एक्टिव नहीं जितनी इस ज्वलन्त समस्या के प्रति उन्हें होना चाहिए तथा वैसा लोगों को महसूस भी होना चाहिए।

इसके साथ ही, धनबल के सहारे राज्यों में सरकारों को गिराने का गंदा खेल भी बंद होना चाहिए। महाराष्ट्र के बाद आज कल एक बार फिर से झारखण्ड की आदिवासी समाज के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार गिराए जाने के लिए षडयंत्र की चर्चायें काफी जोरों पर है, जो घोर अनुचित है। राजनीति में पहले अपराधियों का बोलबाला होने के कारण अस्थिर व बदनाम थी, किन्तु अब धनबल भी इसमें काफी ज्यादा हावी हो गया है, तो फिर ऐसे में छोटी पार्टियों की सरकारों का जीवित रह पाना असंभव नहीं, तो काफी मुश्किल जरूर होता जा रहा है।

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