उत्तराखंड में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज, त्रिवेंद्र रावत ने हरीश रावत पर कसा तंज

Edited By Ajay kumar,Updated: 17 Feb, 2020 05:46 PM

in uttarakhand once again the intensity of leadership change intensified

उत्तराखंड में एक बार फिर मुख्यमंत्री के चेहरे को बदलने की चर्चा ने जोर पकड़ ली है। राज्य गठन के बाद से अब तक पूर्व सीएम एनडी तिवारी को छोड़ कोई भी मुख्यमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है।

देहरादूनः उत्तराखंड में एक बार फिर मुख्यमंत्री के चेहरे को बदलने की चर्चा ने जोर पकड़ ली है। राज्य गठन के बाद से अब तक पूर्व सीएम एनडी तिवारी को छोड़ कोई भी मुख्यमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। लिहाजा राज्य की सियासत के इतिहास को देखते हुए मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बदलने को लेकर अफवाहों का दौर शुरू हो गया है। दरअसल प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ट्वीट करने के बाद से शुरू हुई। हालांकि बीजेपी के प्रदेश स्तर के तमाम नेता इस चर्चा को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी ने बार-बार मुख्यमंत्री पद का चेहरा बदला है। आइए एक नजर डालते हैं आखिर कब और किस पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला है...

  • 9नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था।
  • राज्य गठन के बाद बीजेपी ने उत्तराखंड में अंतरिम सरकार बनाई।
  • नित्यानंद स्वामी उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे।
  • 354 दिन के बाद ही बीजेपी ने उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन कर दिया । 
  • बीजेपी ने स्वामी की जगह भगत सिंह कोश्यारी को कमान सौंप दी।  
  • 2002 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जनादेश मिला।
  • मुख्यमंत्री की कमान कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी को सौंपी गई।
  • तिवारी ही एक मात्र ऐसे मुख्यमंत्री रहे जो पूरे पांच साल तक सत्ता में बने रहे।
  • 2007 में उत्तराखंड में विधानसभा का चुनाव हुआ।
  • 2007 के चुनाव में बीजेपी पर जनता ने भरोसा जताया।
  • बीजेपी ने मुख्यमंत्री की कमान मेजर जनरल भुवन चंद खंडूरी को सौंप दी।
  • आपसी गुटबाजी और मनमुटाव के चलते बीजेपी को सीएम बदलना पड़ा।
  • बीसी खंडूरी को मुख्यमंत्री पद से बीजेपी ने हटा दिया।
  • इसके बाद बीजेपी ने डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को सीएम पद सौंप दिया।
  • सितंबर 2011 में मुख्यमंत्री की कमान निशंक से लेकर फिर खंडूरी को सौप दी गई।
  • यानी बीजेपी ने पहले भी सीएम पद का चेहरा बदला है।
  • साल 2012 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हुआ।
  • जनता ने इस बार कांग्रेस को अपना जनादेश दिया।
  • कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री का पद सौंप दिया।
  •  महज 2 साल के बाद एक बार फिर कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी होने लगी।
  • कांग्रेस ने बहुगुणा को हटा कर हरीश रावत को मुख्यमंत्री का ताज सौंप दिया।
  • 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला।

2020 आते-आते एक बार फिर सीएम बदलने की चर्चा ने जोर पकड़ ली है।

ये तो तय है कि हर पार्टी ने अपनी सुविधा के मुताबिक कार्यकाल के बीच में एक नेता को हटाकर दूसरे नेता को सीएम बनाया है....लेकिन इस बार त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार बदलने की चर्चा के सूत्रधार कांग्रेस नेता हरीश रावत को माना जा रहा है...हरीश रावत ने ट्वीट कर उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन का दावा किया....वहीं कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि मुख्यमंत्री बदलने से प्रदेश के विकास में किसी भी तरह का कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि सत्ता में कोई भी रहे इससे कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होने वाला है। 

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राजनीतिक विश्लेशक भागीरथ शर्मा ने नेतृत्व परिवर्तन पर रखी अपनी राय
राजनीतिक विश्लेशक भागीरथ शर्मा ने नेतृत्व परिवर्तन पर अपनी राय रखी। शर्मा ने कहा कि कुछ राज्यों में बीजेपी सरकार नहीं बना सकी इसलिए उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की खबर फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि 14 साल के अंतराल में उत्तराखंड को आठ सीएम मिले...इससे सूबे के विकास पर असर पड़ता है....शर्मा ने कहा कि अगर उत्तराखंड में सीएम पद को लेकर कोई बदलाव करना है...तो ये जल्द से जल्द होना चाहिए...


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ये केवल चर्चा मात्र हो सकती है-बीजेपी
वहीं बीजेपी के प्रवक्ता शादाब शम्स ने कहा कि ये केवल चर्चा मात्र हो सकती है। उन्होंने कहा कि  बीजेपी में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होने जा रहा है। शम्स ने कहा कि सूबे में नेतृत्व परिवर्तन की बात में कोई दम नहीं है। 

 

वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी हरीश रावत के राजनैतिक अस्थिरता वाले ट्वीट पर जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि हरीश रावत विपक्ष के बड़े नेता हैं और वे अपना धर्म निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में तो बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा है लेकिन कांग्रेस की हालत क्या है ये सब जानते हैं। 

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उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। इसी तरह की कुछ मिलती जुलती अफवाह हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर को लेकर भी लगाई गई थी लेकिन खट्टर पर बीजेपी हाईकमान ने पूरा भरोसा जताया और उनके नेतृत्व में हरियाणा में बीजेपी ने सत्ता में वापसी भी की। उत्तराखंड में भी त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम पद से हटाने को लेकर चर्चाओं ने जोर पकड़ा है। बताया जा रहा है कि पार्टी के भीतर सतपाल महाराज और रमेश पोखरियाल निशंक का नाम चल रहा है लेकिन सतपाल महाराज भले ही अभी बीजेपी के नेता हों पर उनकी जड़ें कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं। कांग्रेस बैकग्राउंड से आए नेता को सीएम का पद बीजेपी अगर सौंपेगी तो पार्टी के कैडर कार्यकर्ता और संघ परिवार शायद ही इसे स्वीकार कर पाए। रही बात रमेश पोखरियाल निशंक की तो वे मानव संसाधन विकास जैसा भारी-भरकम मंत्रालय संभाल रहे हैं। ऐसे में निशंक को दिल्ली से उत्तराखंड भेजना तभी संभव होगा। जब जेडीयू से कुछ सांसदों को केंद्र में मंत्री बनाया जाए। राजनीति संभावनाओं का खेल होता है लेकिन बीजेपी की हाईकमान किस संभावना को अमलीजामा पहनाएगी इसके लिए सभी को थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।

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