डॉ.भीमराव अंबेडकर काे बौद्ध धर्म की दीक्षा देने वाले बौद्ध भिक्षु प्रज्ञानंद का निधन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Nov, 2017 02:45 PM

buddhist monk prajnand died after dr bhimrao ambedkar s initiation of buddhism

दलिताें के मसीहा व संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर को बौद्ध धर्म की दीक्षा देने वाले बौद्ध भिक्षु प्रज्ञानंद का निधन हो गया है।

लखनऊः दलिताें के मसीहा व संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर को बौद्ध धर्म की दीक्षा देने वाले बौद्ध भिक्षु प्रज्ञानंद का निधन हो गया है। 90 वर्षीय प्रज्ञानंद (90) ने गुरुवार को अंतिम सांस ली। वह काफी दिनाें से बीमार चल रहे थे। रविवार को उनको गंभीर हालत में लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के भर्ती कराया गया था। 

सीने में दर्द और सांस लेने में हाे रही थी तकलीफ
केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने बताया- "डॉ. प्रज्ञानंद का गुरुवार को 11 बजे निधन हो गया। उन्हें सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ होने पर बीते दिनों ट्रामा सेंटर में एडमिट कराया गया था, वहां से बाद में उन्हें केजीएमयू के गांधीवार्ड में शिफ्ट किया गया था।"
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श्रीलंका में हुआ था भिक्षु प्रज्ञानंद का जन्म
-बौद्ध भिक्षु प्रज्ञानंद का जन्म श्रीलंका में हुआ था। 1942 में डॉ प्रज्ञानन्द इंडिया आ गए थे। प्रज्ञानन्द ने 14 अप्रैल, 1956 को नागपुर में सात भिक्षुओं के साथ डॉ. भीम राव अम्बेडकर को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी।
-उनकी देखभाल करने वाले भन्ते सुमन ने बताया था- "गुरु प्रज्ञानन्द पिछले दो सालों से बेड पर थे। उन्हें सांस समेत मल्टीप्ल डिजीज था है।
-प्रज्ञानंद लखनऊ के रिसालदार पार्क के बुद्ध विहार में रहते थे। बाबा साहेब ने बुद्ध विहार का दो बार दौरा किया था।


बाबा साहेब ने 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में ली दीक्षा
डॉ.अंबेडकर ने हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। 1950 से 1956 के बीच उन पर कुछ बौद्ध भिक्षुओं का प्रभाव पड़ा और उन्होंने 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में अपनी पत्नी के साथ बौद्ध धर्म को अंगीकार कर लिया था।
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बाबा साहब के बारे में क्या था प्रज्ञानंद का विचार
प्रज्ञानंद का कहना था कि आंबेडकर को दीक्षा देने के समय उन्होंने भदांत चंद्रमणि महाथेरो की मदद की थी। चंद्रमणि महाथेरो ने ही बाबा साहेब का धर्म परिवर्तन कराया था। मूलरूप से श्रीलंका के रहने वाले प्रज्ञानंद ने बताया कि धर्म परिवर्तन के वक्त आंबेडकर का सांसारिक दुनिया से संबंध खत्म हो चुका था।

प्रज्ञानंद लखनऊ के रिसालदार पार्क के बुद्ध विहार में रहते थे। उनके मुताबिक बाबा साहेब ने बुद्ध विहार का दो बार दौरा किया था। प्रज्ञानंद का कहना है कि लखनऊ दौरे के बाद बाबा साहेब के मन में हिंदू धर्म त्यागने का विचार आया और वो बौद्ध धर्म की तरफ तेजी से आकर्षित हुए।

भदांत प्रज्ञानंद का कहना है कि अगर मध्य प्रदेश में महू उनकी जन्मभूमि है, अगर नागपुर उनकी दीक्षाभूमि है तो लखनऊ को स्नेहभूमि कहना गलत न होगा। बाबा साहेब ने 1948 और 1951 में लखनऊ का दौरा किया था। 1948 के एक फोटोग्राफ में उन्हें लोगों से धार्मिक विषयों पर विचार-विमर्श करते हुए देखा जा सकता है।

प्रज्ञानंद ने कहा कि शायद लखनऊ का दौरा खास था, जब बाबा साहेब के मन में बौद्ध धर्म अपनाने की तीव्र इच्छा जगी। दरअसल, भदांत बोधानंद को दीक्षा देनी थी, लेकिन उनकी अचानक मौत होने के बाद ये जिम्मेदारी चंद्रमणि महाथेरो को ये जिम्मेदारी दी गई।

 


 

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