Edited By Ajay kumar,Updated: 17 Sep, 2019 10:02 AM
उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती को जोर का झटका लगा है। राजस्थान के सभी 6 बसपा विधायकों ने हाथी का साथ छोड़कर सत्तारूढ़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।
जयपुर: उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती को जोर का झटका लगा है। अबतक बाहर से समर्थन दे रहे राजस्थान के सभी 6 बसपा विधायकों ने हाथी का साथ छोड़कर सत्तारूढ़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। उन्होंने सोमवार रात कांग्रेस में विलय का पत्र विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंप दिया। जोशी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि बसपा के विधायकों ने मुझे पत्र सौंपे हैं।
हमने राज्यहित में लिया है फैसला: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमने यह राज्य हित में फैसला लिया है। बसपा विधायकों ने सोमवार देर रात कांग्रेस की सदस्यता ली. रात 10:30 बजे सभी विधायक विधानसभा पहुंचे।
मुख्यमंत्री गहलोत के निरंतर संपर्क में थे सभी विधायक
विधायक राजेंद्र सिंह, जोगेंद्र सिंह अवाना, वाजिब अली, लखन सिंह मीणा, संदीप यादव तथा दीपचंद ने कहा कि वह अपने विधायक दल का कांग्रेस में विलय कर रहे हैं। कांग्रेस के एक नेता ने कहा-'बसपा के सभी छह विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निरंतर संपर्क में थे और सोमवार को वह कांग्रेस में शामिल हो गए।
गौरतलब है कि 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के सौ विधायक हैं। राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के एक विधायक का भी कांग्रेस को समर्थन हासिल है। इसके अलावा 13 में 12 निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन दिया है। दो सीटें अभी रिक्त हैं।
लोगों के कल्याण के लिए उठाया गया है कदम: जोगेंद्र सिंह अवाना
विधायक जोगेंद्र सिंह अवाना ने कहा कि सभी छह विधायकों ने जरुरी कागजात सब्मिट कर दिए हैं। ढेर सारी चुनौतियां थीं। एक तरफ हम राज्य में कांग्रेस सरकार का समर्थन कर रहे हैं और दूसरी तरफ हम उनके खिलाफ संसद चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में हमने हमारे निर्वाचन क्षेत्रों के विकास और राज्य के लोगों के कल्याण को देखते हुए यह कदम उठाया है।
गहलोत सरकार को पूर्ण बहुमत
गौरतलब है कि 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कुल 99 सीटें मिली थी। जबकि भाजपा को 73 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन पूर्ण बहुमत से एक सीट कम रह गई। कांग्रेस ने बसपा और निर्दलीय विधायकों की मदद से अपनी सरकार बनाई थी। बसपा के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद अब गहलोत सरकार अपने दम पर पूर्ण बहुमत वाली सरकार हो गई है।