उत्तराखंड में चुनावी राजनीति में फिर पिछड़ीं महिलाएं, BJP की सूची में पूर्व CM की बेटी का नाम गायब

Edited By Nitika,Updated: 23 Jan, 2022 08:44 PM

backward women again in electoral politics in uttarakhand

उत्तराखंड को पृथक राज्य बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाएं चुनावी राजनीति में एक बार फिर पिछड़ती दिखाई दे रही हैं। पिछले दिनों जब भाजपा ने 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकटों की घोषणा की तो सूची में यमकेश्वर से मौजूदा विधायक...

 

देहरादूनः उत्तराखंड को पृथक राज्य बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाएं चुनावी राजनीति में एक बार फिर पिछड़ती दिखाई दे रही हैं। पिछले दिनों जब भाजपा ने 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकटों की घोषणा की तो सूची में यमकेश्वर से मौजूदा विधायक ऋतु खंडूरी का नाम गायब था।

पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी की पुत्री और प्रदेश पार्टी महिला मोर्चा की अध्यक्ष होने के नाते खंडूरी का नाम राज्य की अग्रणी महिलाओं में शुमार है लेकिन इसके बावजूद उनका टिकट कटना सबके लिए चौंकाने वाला था। इस फैसले से आहत प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की महामंत्री अनु कक्कड़ के नेतृत्व में महिला कार्यकर्ताओं ने प्रदेश के संगठन महामंत्री अजय कुमार से मिलकर फैसले पर पुनर्विचार ​का अनुरोध भी किया। रोचक बात यह है कि भाजपा की तरह ही पूर्व महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरिता आर्य को भी चुनाव में टिकट मिलने को लेकर संशय के चलते कांग्रेस छोड़नी पड़ी। हालांकि, पिछले सप्ताह भाजपा में शामिल हुईं आर्य नैनीताल से टिकट लेने में सफल रहीं। भाजपा द्वारा जारी 59 प्रत्याशियों की पहली सूची में आर्य सहित 6 महिलाओं को टिकट दिया गया है, जो कुल उम्मीदवारों की संख्या का 10 प्रतिशत है। सूची में 3 मौजूदा महिला विधायकों को स्थान नहीं मिल पाया।

खंडूरी के अलावा, गंगोलीहाट से मीना गंगोला और थराली से मुन्नी देवी पर भी भरोसा नहीं जताया गया। कांग्रेस ने भी 53 उम्मीदवारों की पहली सूची में केवल 5 प्रतिशत से कुछ ज्यादा यानी तीन महिलाओं को ही टिकट दिया है। प्रदेश में 'मातृशक्ति' के सम्मान की बात करनेवाले राजनीतिक दल महिलाओं को नीति निर्माता की भूमिका देने से हिचकिचाते रहे हैं और टिकटों की सूची में उनकी संख्या अधिकतम 10-15 प्रतिशत के दायरे में ही सिमट जाती है। इस संबंध में पूछे जाने पर खंडूरी ने 'भाषा' से कहा कि भाजपा ने छह महिलाओं को टिकट दिया है और उम्मीद है कि घोषित होने वाली दूसरी सूची में भी उन्हें स्थान मिलेगा। हालांकि, चुनावी राजनीति में बराबरी के दर्जे के बारे में उन्होंने कहा कि यह समाज पुरुष प्रधान है और यह स्थिति न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में और राजनीति सहित सभी क्षेत्रों में है, जहां योग्यता बराबर होने पर भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा प्रयास और मेहनत करनी पड़ती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। पिछले कुछ साल में धीरे-धीरे स्थिति अच्छी हुई है और भविष्य में यह और बेहतर होगी।''

उत्तर प्रदेश में महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने की कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की घोषणा के विपरीत उत्तराखंड में पार्टी ने केवल पांच प्रतिशत महिलाओं पर ही भरोसा जताया। इस संबंध में एक कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी ने यहां जीत की संभावना वाले उम्मीदवारों को ही चुनावी समर में उतारा है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!