Edited By prachi,Updated: 12 Sep, 2018 01:34 PM
झारखंड विधानसभा में पूर्व में हुई नियुक्तियों में बरती गई अनियमितताओं और घोटाले की रिपोर्ट जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद ने सौप दी है। झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. दिनेश उरांव को दिशा-निर्देश जारी करते हुए इस पर उचित...
रांची : झारखंड विधानसभा में पूर्व में हुई नियुक्तियों में बरती गई अनियमितताओं और घोटाले की रिपोर्ट जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद ने सौंप दी है। झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. दिनेश उरांव को दिशा-निर्देश जारी करते हुए इस पर उचित कार्रवाई करने को कहा है। जांच रिपोर्ट में तीन पूर्व विधानसभा अध्यक्षों के कार्यकाल के दौरान नियुक्ति और प्रोन्नति में बरती गई अनियमितता को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। अगर आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई की गई तो कई कर्मियों की नौकरी जाएगी। वहीं कई अन्य कर्मियों को डिमोट भी किया जा सकता है।
क्या है रिपोर्ट में?
अवैध नियुक्ति और प्रोन्नति मामले की जांच कर रही विक्रमादित्य आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि झारखंड विधानसभा के 3 पूर्व अध्यक्षों के कार्यकाल के दौरान विधानसभा ने नियुक्ति-प्रोन्नति के दौरान भारी गड़बड़ी हुई है। आयोग ने इस मामले में दोषी पाए गए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी, आलमगीर आलम, शशांक शेखर भोक्ता और विधानसभा के तत्कालीन प्रभारी सचिव अमरनाथ झा के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की भी सिफारिश की गई है। आयोग, तत्कालीन विधायक सरयू राय (वर्तमान में खाद्य आपूर्ति मंत्री) द्वारा विधानसभा को सौंपी गई सीडी की तकनीकी रूप से जांच नहीं कर सका।आयोग ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है।
बता दें कि सरयू राय ने यह सीडी सौंपकर विधानसभा में हुई नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर लेनदेन का आरोप लगाया था। रिपोर्ट की मानें तो विधानसभा में उन कर्मियों की भी बैकडोर से नियुक्ति कर दी गई थी, जिन्हें बिहार विधानसभा से हटा दिया गया था। ये कर्मी राज्य गठन के बाद फिर से झारखंड विधानसभा में नियुक्त कर दिए गए थे।
राज्यपाल की स्वीकृत फाइल से छेड़छाड़ की पुष्टि
आयोग ने अपनी जांच के दौरान पाया कि विधानसभा के तत्कालीन प्रभारी सचिव अमरनाथ झा ने राज्यपाल से स्वीकृत फाइल में भी छेड़छाड़ की थी। यह फाइल विधानसभा सहायकों के 75 पदों के सृजन को लेकर जारी की गई थी। इसमें छेड़छाड़ कर रिक्तियों की संख्या 75 से बढाकर 75+75 यानी 150 कर दी गई थी। आयोग ने जांच के क्रम में 13 जगहों पर छेड़छाड़ पाई और इसकी पुष्टि राजभवन से भी कराई गई।
नियुक्ति का खेल झारखंड विधानसभा के गठन के साथ ही शुरू हो गया था। झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. सैयद अहमद ने विधानसभा नियुक्ति, प्रोन्नति घोटाले की जांच का आदेश दिया था। सबसे पहले जस्टिस लोकनाथ प्रसाद की अध्यक्षता में यह जांच आयोग गठित की गई थी, लेकिन बाद में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई और इस जांच आयोग के कार्यकाल का कई बार अवधि विस्तार हुआ।