पराली के बहाने किसानों को जेल भेज उत्पीड़न कर रही है योगी सरकार: लल्लू

Edited By Umakant yadav,Updated: 04 Nov, 2020 05:24 PM

yogi government is harassing farmers under the pretext of stubble lallu

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि योगी सरकार पराली निस्तारण के बहाने किसानों को जेल भेजकर उनका उत्पीड़न कर रही है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि योगी सरकार पराली निस्तारण के बहाने किसानों को जेल भेजकर उनका उत्पीड़न कर रही है।       

लल्लू ने बुधवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पराली समस्या के समाधान के लिए सरकार को निर्देश दिया था कि वह पराली की खरीद कर उसका निस्तारण कराए और पराली निस्तारण के लिए किसानों को समुचित आर्थिक मुआवजे की व्यवस्था सुनिश्चित करे, लेकिन सरकार अपने दायित्वों से मुँह चुराकर किसानों के विरुद्ध मुकदमे लिखकर उन्हें जेल भेजकर प्रताड़ित कर रही है।

उन्होंने कहा कि अकेले सहारनपुर जिले में अब तक 16 किसानों को एक सप्ताह में पुलिस ने जेल भेज दिया है और सैंकड़ों किसान अपनी गिरफ्तारी के भय से अपना घर परिवार छोड़कर भागने के लिए विवश हैं। प्रदेश सरकार के इस पुलिसिया उत्पीड़न से किसानों में भय एवं आक्रोश व्याप्त है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ जहां किसानों को धान बेचने के लिये क्रय केंद्रों पर चार-चार दिन तक प्रतीक्षा करनी पड़ रही है और न्यूनतम समर्थन मूल्य 1886 रूपये के स्थान पर तमाम कमियां बताकर आठ सौ से लेकर नौ सौ रुपये प्रति कुन्तल में किसानों को अपनी धान की उपज बेंचने के लिए विवश कर रही है और उनका शोषण करने पर उतारू है।       

लल्लू ने कहा कि बुंदेलखंड के किसान सूखे की चपेट में हैं। नहरों में पानी न आने के कारण झांसी के किसान 30 अक्टूबर से लगातार धरने पर बैठे है क्योंकि समय से पानी न आने की वजह से रवी फसल की बुआई के लिए खेतों की तैयारी में अत्यधिक देरी हो रही है। पिछली फसल की बर्बादी से कराह रहा किसान अपनी नई फसल की समय से बुआई न कर पाने के भय और आशंका से दु:खी है। इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी बता रही है कि उसके एजेंडे में किसान नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि 14 दिन में गन्ना मूल्य के भुगतान के वादे के साथ सत्ता में आई भाजपा के शासन में 14 हजार करोड़ रुपया गन्ना किसानों का अभी भी बकाया है जबकि नया पेराई सत्र चालू होने वाला है। न्यायालय का यह निर्देश था कि 14 दिन में भुगतान न होने पर ब्याज सहित गन्ना मूल्य के बकाये का भुगतान मिलों को करना होगा। ब्याज की तो छोड़िए, अन्नदाता किसान वर्षों से अपने वास्तविक मूल्य के लिए दर-दर की ठोंकरें खा रहा है।

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