प्रयागराज में गोशालाओं की स्थिति बदतर, चारे-पानी की उचित व्यवस्था के आभाव से मर रही गाएं

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 19 Oct, 2019 04:36 PM

the situation of cowsheds in prayagraj worsens the cow dying due to

सूबे की योगी सरकार आवारा पशुओं और गायों के लिए बड़े बजट और गौशालाओं का हवाला देकर बड़ी-बडी बाते कहती है, लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। प्रयागराज में गौशालाओं की स्थिति बेहद दयनीय है। समुचित व्यवस्था न होने से यहां पर आए दिन गायों की मौत हो रही...

प्रयागराजः सूबे की योगी सरकार आवारा पशुओं और गायों के लिए बड़े बजट और गौशालाओं का हवाला देकर बड़ी-बडी बाते कहती है, लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। प्रयागराज में गौशालाओं की स्थिति बेहद दयनीय है। समुचित व्यवस्था न होने से यहां पर आए दिन गायों की मौत हो रही।
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गौशालाओं में संख्या से अधिक जानवरों को रखा गया
गौशालाओं की स्थिति ये है कि इसमें संख्या से अधिक जानवरों को रखा गया है। एक गौशाला में 40 की जगह 50 से 60 या उससे भी अधिक गाय बछड़ें को यहां रखा गया है। अरैल मोड, उढगी, थरवई पीथीपुर सहित प्रयागराज की लगभग सभी गौशालाओं की स्थिति आपको ऐसी ही मिलेगी। ताजा मामला प्रयागराज के नैनी क्षेत्र स्तिथ अरैल मोड़ की एक गौशाला का है। जहां बेहतर व्यवस्था न होने की वजह से गायों की मौतों का सिलसिला जारी है। बीती रात अव्यवस्था के चलते एक गाय की मौत हो गई, जबकि स्थानीय लोगों के मुताबिक दो दिन पहले भी 2 गायों की मौत हो चुकी है।

जगह न होने के कारण बैठ भी नहीं सकते जानवर
गायों की मौतों के चलते स्थानीय लोग और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता गौशाला के बाहर धरने पर बैठ गए। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि जगह न होने और अधिक जानवर होने के कारण गौशालाओं के पशु बैठ नहीं सकते और बिजली की व्यवस्था न होने के कारण आपस में लड़ कर घायल हो जा रहे। साथ ही इनके खाने-पीने की भी समुचित व्यवस्था न होने के कारण गाए मर रही है।

सूखे बूसे में मिक्स हो जाता है गोबर
लोगों की शिकायत के बावजूद कोई भी कर्मचारी जिम्मेदारी से सरकार के नियमों का पालन नहीं करवा पा रहा डॉक्टर से लेकर गौशालाओं मे कार्य करने वाले लोग सिर्फ खानापूर्ति के लिए बैठे है। यहां के गौशालाओं की स्थिति ये है कि सूखा बूसा जिसमें गोबर मिक्स हो जाता है, वहीं गायों को दे दिया जाता है। जानवर उसे खा भी नहीं सकते ऐसी स्थिति में यहां पर केवल औपचारिकता के लिए लोग रखे गए है और सही देखरेख न होने के आभाव मे जानवर भूखे प्यासे मर रहे हैं।

कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं जिम्मेदार
वहीं जब जिम्मेदार लोगों से इसके लिए बात की जाती है और पूछा जाता है तो कैमरे के सामने न बोलते हुए बताते है कि सरकार की तरफ से एक गाय के खाने के लिए प्रतिदिन 30 रूपया दिया गया है। जिसमें 2.50 रूपया जीएसटी और बचा 27.50 रूपया इसमे भी प्रधान से लेकर सिंगरेटरी, डॉक्टर अधिकारी सबका खेल रहता है और आप ही समझे कि अगर 27.50 रूपया मिल भी गया तो एक जानवर जो औसतन 8 से 10 कुंतल वजन का है, क्या 27.50 रूपये में उसका पेट भर जाता है।

क्यों जिम्मेदार लोग बने हुए हैं लापरवाह?
अब ऐसी स्थिति मे गाए मरेंगी नहीं तो क्या होगी। अब सोचने वाली बात ये है कि सरकार तो बड़े बजट का हवाला देकर गौशालाओं के लिए भी बड़े-बड़े दावे करती है फिर ऐसा क्यों हो रहा। शासन प्रशासन को सरकार के नियमों आदेशों का खौफ नहीं क्यों जिम्मेदार लोग लापरवाह बने हुए हैं। पहले गो हत्या होती थी और अब गौशालाओं में गायों को भूखा प्यासा रख कर उनकी हत्या हो रही। अब देखना ये होगा कि सरकार इसके लिए कोई कठोर कदम उठाती है या नहीं।



 

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