मेहनत की उड़ान, गोलगप्पे बेचने वाला बना ISRO का हिस्सा! मेहनत और पढ़ाई के दम पर कर दिया कमाल, मिली इस पद की जिम्मेदारी

Edited By Purnima Singh,Updated: 28 May, 2025 06:40 PM

the golgappa seller became a part of isro

महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के नंदन नगर में रहने वाले रामदास हेमराज मारबदे ने अपनी मेहनत के बल पर आज इंडियन स्पेस रिचर्स आर्गेनाईजेशन में नौकरी हासिल की है......

Viral Story : शाहरुख खान की फिल्म ओम शांति ओम में आपने वो डायल़ॉग तो सुना ही होगा कि अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है, बस मन में जजबा अटूट और मेहनत जीतोड़ होनी चाहिए। फिर कुछ भी हो जाए मुसीबतें आपके रास्ते को रोक नहीं सकती हैं। ऐसी ही एक कहानी आज हम आपको इस खबर के माध्यम से सुनाने जा रहे हैं। जिसमें एक गोलगप्पे बेचने वाले ने अपनी महनत और लगन से इसरो में अपनी जगह बना ली है।

इसरो के टेक्नीशियन डिपार्टमेंट में दे रहे सेवाएं
किसी ने कभी ये नहीं सोचा होगा कि कोई गोलगप्पा बेच कर सीधे गगन तक का सफर तय कर सकता है। हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के नंदन नगर में रहने वाले रामदास हेमराज मारबदे की, जिन्होंने अपनी मेहनत के बल पर आज इंडियन स्पेस रिचर्स आर्गेनाईजेशन में नौकरी हासिल की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रामदास हेमराज मारबदे इसरो के टेक्नीशियन डिपार्टमेंट में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 

घर की आर्थिक हालत ठीक न होने के चलते बेचे गोलगप्पे
रामदास ने बताया कि उनके पिता डोंगरगांव जिला परिषद स्कूल में चपरासी थे। जोकि हाल ही में रिटायर हुए हैं। उनकी मां गृहणी हैं। रामदास ने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद नासिक के वाईसीएस कॉलेज से बीए कंप्लीट किया। घर की आर्थिक हालत ठीक न होने की वजह से रामदास ने गोलगप्पा बेचना शुरू किया। दिन में वह गोलगप्पा बेचते थे और रात में पढ़ाई करते थे।

स्किल टेस्ट पास करने के बाद हुआ इसरो में सेलेक्शन 
बता दें, साल 2023 में इसरो ने अप्रेंटिस ट्रेनी पदों के लिए भर्ती निकाली थी। इस वैकेंसी के लिए रामदास ने अप्लाई कर दिया था। उन्होंने साल 2024 में नागपुर में इसके लिए परीक्षा दी। अगस्त 2024 में स्किल टेस्ट की परीक्षा देने के लिए वह श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के केंद्र पहुंचे। जहां उन्होंने परीक्षा पास भी कर ली। इसके बाद रामदास हेमराज मारबदे का इसरो में सेलेक्शन हो गया। 

19 मई 2025 को किया ज्वाइन
19 मई 2025 को वह ज्वाइनिंग लेटर लेकर इसरो सेंटर पहुंचे और पंप-ऑपरेटर-कम-मैकेनिक का पदभार संभाल लिया। रामदास की ये सफलता की कहानी हम सभी को ये सीखाती है कि जीवन में लाख परेशानियां क्यों ना हो, आप कितना भी छोटा काम क्यों ना कर रहे हों, अगर कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता आपके कदम जरूर चूमती है।  

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