Edited By Imran,Updated: 10 Nov, 2024 04:54 PM
उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ सुझाव सरकार के पास भेजे हैं। महिला सुरक्षा होनी चाहिए और जब महिलाएं सुरक्षित रहेंगी तो ही आगे समाज सुरक्षित रह पाएगा, मगर महिला सुरक्षा के नाम पर पुरुषों के साथ अन्याय न हो, यह भी संतुलन...
यूपी डेस्क: उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ सुझाव सरकार के पास भेजे हैं। महिला सुरक्षा होनी चाहिए और जब महिलाएं सुरक्षित रहेंगी तो ही आगे समाज सुरक्षित रह पाएगा, मगर महिला सुरक्षा के नाम पर पुरुषों के साथ अन्याय न हो, यह भी संतुलन बनाना आयोग और सरकार का काम है। उनका उत्तरदायित्व है। उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने जो सुझाव दिए हैं, वह कहीं न कहीं समाज में विघटन और विभाजन लाने वाले हैं। उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने सरकार को जो सुझाव दिए हैं, वे हैं “महिलाओं के नाप लेने के लिए महिला ही टेलर हों, जिम में महिला ट्रेनर हों और ब्यूटीशियन का काम भी पुरुषों के स्थान पर महिलाएं करें।“
आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने यह कहा है कि पहले ब्यूटी पार्लर में सिर्फ महिला कर्मचारी ही होती थीं पर अब पुरुष कर्मचारी भी होने लगे हैं। यहां तक कि आज ब्राइडल मेकअप भी पुरुष कर्मचारी कर रहे हैं। मैं बस इतना चाहती हूं कि अगर किसी महिला को पार्लर में पुरुष कर्मचारी की सेवाएं लेनी हैं तो उसे इस बात को लिखकर देना होगा। ये तमाम सुझाव सुनने में सही लग रहे हैं कि महिलाएं ही महिला के ऐसे कामों को करें। मगर इन दिनों समलैंगिक अपराध भी सुनने में आ रहे हैं, तो ऐसे में क्या गारंटी है कि ऐसी कोई महिला नहीं होगी, जो दूसरी महिला का शोषण न करे। महिलाओं में भी आपराधिक प्रवृत्ति की महिलाएं होती हैं और वे भी अपराध आदि में लिप्त हो सकती हैं।
'महिलाओं और पुरुषों के बीच परस्पर अविश्वास बढ़ेगा'
इसके साथ ही ये सुझाव इसलिए और भी खतरनाक हैं क्योंकि यदि इन्हें माना जाता है तो इनके कारण लाखों-करोड़ों ऐसे परिवारों की रोजी रोटी छिन जाएगी जो यह काम कर रहे हैं। यदि ऐसा अचानक से होते है तो ऐसे लोगों के व्यक्तिगत अधिकारों का भी हनन होगा। पुरुष आयोग की अध्यक्ष होने के नाते यह कदम मुझे बहुत कट्टर और पिछड़ा हुआ लग रहा है क्योंकि इससे महिलाओं और पुरुषों के बीच परस्पर अविश्वास बढ़ेगा। महिलाओं की उस आजादी पर भी यह हमला है, जो उन्हें यह अधिकार देती है कि वे किससे सेवा लेना चाहती हैं और किससे नहीं?
ऐसे तो हर जगह पर इसी प्रकार की विभाजक बातें होने लगेंगी, विभाजन के दायरे बढ़ेंगे। और जैसे-जैसे विभाजन होगा, वैसे-वैसे महिला और पुरुष की दूरी तो बढ़ेगी ही, साथ ही महिलाओं की नजर में पुरुष खलनायक घोषित होते जाएंगे। ऐसे कि उनसे दूर रहना है। जबकि इस समय दूरी पाटने की पहलें करनी चाहिए। महिला और पुरुषों के बीच जो संवादहीनता है उसे खत्म करना चाहिए न कि ऐसे सुझावों के साथ उन्हें और बढ़ाना चाहिए।
बरखा त्रेहन
प्रेसिडेंट, पुरुष आयोग एनजीओ