हाथरस के जिलाधिकारी को अब तक क्यों नहीं हटाया : उच्च न्यायालय ने सरकार से सवाल किया

Edited By PTI News Agency,Updated: 05 Nov, 2020 09:27 PM

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लखनऊ, पांच नवम्बर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने हाथरस में हुई कथित बलात्कार और हत्याकांड की घटना के सिलसिले में बृहस्पतिवार को आदेश जारी करते हुए सरकार से संबंधित जिलाधिकारी को अभी तक ना हटाए जाने के बारे में सवाल किया।

लखनऊ, पांच नवम्बर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने हाथरस में हुई कथित बलात्कार और हत्याकांड की घटना के सिलसिले में बृहस्पतिवार को आदेश जारी करते हुए सरकार से संबंधित जिलाधिकारी को अभी तक ना हटाए जाने के बारे में सवाल किया।

अदालत ने सीबीआई से कहा है कि वह आगामी 25 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई पर अदालत को यह बताए कि वह प्रकरण की जांच पूरी करने में कितना समय लेगी।

न्यायमूर्ति पंकज मित्थल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की पीठ ने गत दो नवंबर को मामले की सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे बृहस्पतिवार को अदालत की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया गया।

अदालत ने राज्य सरकार के वकील एस. वी. राजू से पूछा कि मामले की जांच जारी है, ऐसे में क्या हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार को उनके पद पर बनाए रखना सही और तर्कसंगत है।
पीठ ने राजू से पूछा कि क्या यह बेहतर नहीं होता कि मामले की जांच लंबित होने के दौरान जिलाधिकारी को कहीं और तैनात कर दिया जाता, ताकि मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित होने में कोई संदेह बाकी न रहता।

इस पर राज्य सरकार के वकील ने अदालत को भरोसा दिलाया कि वह सरकार को अदालत की इस चिंता से अवगत कराएंगे और मामले की अगली सुनवाई पर इस बारे में लिए गए निर्णय की जानकारी देंगे।
अदालत ने अपने आदेश में सीबीआई के वकील अनुराग सिंह से मामले की अगली सुनवाई के दौरान प्रकरण की जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही यह भी पूछा है की एजेंसी मामले की जांच में अभी और कितना समय लेगी।
गौरतलब है कि पिछली 14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र स्थित एक गांव में 19 वर्षीय एक दलित युवती से अगड़ी जाति के चार युवकों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया था। बाद में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस अधीक्षक समेत कई पुलिस अफसरों को निलंबित किया गया था।
लड़की के शव को कथित रूप से उसके परिजन की मर्जी के खिलाफ देर रात जला दिया गया था। अदालत ने इसका स्वत: संज्ञान लिया है। इस बारे में जिला प्रशासन का कहना है कि कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका की वजह से लड़की का शव देर रात में जलाया गया था।

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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