लैंगिक भेदभाव समाप्‍त किए बिना बाल अधिकारों का संरक्षण संभव नहीं: रूथ लियानो

Edited By Umakant yadav,Updated: 08 Nov, 2020 03:22 PM

protection of child rights is not possible without ending gender ruth liano

संयुक्‍त राष्‍ट्र बाल कोष (यूनिसेफ़) ने कहा है कि लोगों में लैंगिक भेदभाव समाप्त करने की भावना जागृत किए बिना बाल अधिकारों का पूर्ण संरक्षण संभव नहीं है।

बहराइच: संयुक्‍त राष्‍ट्र बाल कोष (यूनिसेफ़) ने कहा है कि लोगों में लैंगिक भेदभाव समाप्त करने की भावना जागृत किए बिना बाल अधिकारों का पूर्ण संरक्षण संभव नहीं है।यूनिसेफ़ की उत्तर प्रदेश प्रमुख रूथ लियानो ने शनिवार को यहां एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा, "बाल अधिकारों का संरक्षण हम तब तक सुनिश्चित नहीं कर सकते जब तक लैंगिक भेदभाव को खत्म नहीं कर देते। हम सबको इस भेदभाव के प्रति अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने के साथ-साथ इसके विरुद्ध अपने घरों व समाज में भी आवाज़ उठानी होगी।"

यह कार्यशाला उत्तर प्रदेश पुलिस एवं यूनिसेफ़ के संयुक्त तत्वावधान में बहराइच जिले के एक रिजॉर्ट में आयोजित की गई थी। कार्यशाला का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के देवीपाटन मंडल के अंतर्गत आने वाले भारत नेपाल सीमावर्ती जिलों के समस्त पुलिस अधिकारियों को बाल एवं महिला अधिकारों के संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाना और उन्हें किशोर न्याय अधिनियम-2015, पाक्सो (यौन शोषण से बच्चों का संरक्षण) एक्ट, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, बाल श्रम विरोधी क़ानूनों पर प्रशिक्षित करना भी था। कार्यशाला को संबोधित करते हुए देवीपाटन परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक डाक्‍टर राकेश सिंह ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को पूर्वाग्रह से बाहर आकर बाल मित्र बनना होगा। उन्‍होंने कहा कि बाल एवं महिला अधिकारों के संरक्षण के प्रति हमारे मुख्यमंत्री बेहद संवेदनशील हैं और "मिशन शक्ति अभियान" उनकी खास पहल है।

बहराइच के जिलाधिकारी शंभु कुमार ने कहा कि बाल संरक्षण एवं मिशन शक्ति अभियान के तहत मुख्यमंत्री की पहल को अंजाम तक पहुंचाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी अपने स्तर से त्वरित कार्रवाई करेंगे।

पुलिस अधीक्षक डा.विपिन मिश्र ने कहा कि मुहिम को धरातल पर उतारने के लिए हर थाने में बाल कल्याण अधिकारी तैनात किए गए हैं। यह बाल अपराधों से जुड़ी विवेचनाओं को गति देने के काम में जुट गये हैं। स्वयं सेवी संस्था ‘देहात व चाईल्ड लाइन' के निदेशक डॉ जितेन्द्र चतुर्वेदी ने किशोर न्याय अधिनियम पर प्रशिक्षण देते हुए कहा,‘‘ हमें ‘सर्वोत्तम बाल हित' के नजरिए से प्रत्येक कानून को लागू करने की जरूरत है। कार्यशाला को अन्य लोगों ने भी संबोधित किया। 

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