वृंदावन में होली की धूम: खूब उड़ा गुलाल, बरसे खुशियों के फूल....मस्ती में सराबोर दिखे श्रद्धालु, देखें तस्वीरें....

Edited By Harman Kaur,Updated: 25 Mar, 2024 12:56 PM

holi celebration in vrindavan priyakant zoo temple

देश में आज जहां होली की धूम मच रही है, वहीं बृज में बसंत पंचमी से शुरू हुई होली आज पूरे उफान पर दिखाई दी। आज वृंदावन के प्रियाकांत जू मंदिर......

मथुरा/ वृंदावन: देश में आज जहां होली की धूम मच रही है, वहीं बृज में बसंत पंचमी से शुरू हुई होली आज पूरे उफान पर दिखाई दी। आज वृंदावन के प्रियाकांत जू मंदिर (Priyakant Zoo Temple) में हंसी ठिठोली, अबीर गुलाल, टेसू के फूलों के साथ भक्तों ने जमकर होली खेली।

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प्रियाकांत जू मंदिर में कई तरह की होली को देख श्रद्धालु आनंदित और मस्ती में सराबोर दिखे। तो चलिए आप भी और आनंद लीजिए प्रियाप्रियतम की प्रियाकांत जू मंदिर की इस होली का। तस्वीरों में देखिए होली की धूम.....
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कान्हा और सखियों के वाद संवाद के बीच चली फागुन की ऐसी मस्ती की उसमे हर कोई सराबोर दिखा और भला हो भी क्यों न भगवान् की नगरी में कान्हा स्वरूपो के साथ होली खेलने का मौका मिले तो भला कौन मौका छोड़ना चाहेगा।

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इसी लिए वृंदावन धाम में आये कान्हा के भक्तों ने जमकर होली का आनंद लिया। एक ही जगह पर फूल, लड्डू, लट्ठामार, अबीर गुलाल की होली के साथ रोम-रोम को रंगने वाली इस आकाशीय होली में रंगकर हर कोई आनंदित था।
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होली भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्व भर में मनाया जाने लगा है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है।

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यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं वहां भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। धर्म शास्त्र के अनुसार पहले दिन को होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है।
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ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयां खिलाते हैं।

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यह एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

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