Edited By Mamta Yadav,Updated: 07 Mar, 2025 01:52 AM

प्रयागराज महाकुम्भ में आस्था और आर्थिकी का संगम भी देखने को मिला है। समृद्धि के इस संगम में समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े वंचित समाज ने भी अर्थ अर्जन की डुबकी लगाई है। नदियों में नाव चलाने वाला नाविक समाज इसमें अग्रणी है।
Prayagraj News: प्रयागराज महाकुम्भ में आस्था और आर्थिकी का संगम भी देखने को मिला है। समृद्धि के इस संगम में समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े वंचित समाज ने भी अर्थ अर्जन की डुबकी लगाई है। नदियों में नाव चलाने वाला नाविक समाज इसमें अग्रणी है।

45 दिन के महाकुम्भ में 30 करोड़ की कमाई
संगम तट पर 45 दिन चले महाकुम्भ 2025 में करोड़ों श्रृद्धालुओं के पाप ही नहीं धुल गए बल्कि समाज में आर्थिक समृद्धि में सबसे नीचे पायदान में खड़े कई वर्गों का अभाव भी तिरोहित हो गया। इसमें संगम में नाव चलाने वाले नाविक सबसे आगे आते हैं। इनमें भी सबसे अलग कहानी प्रयागराज के अरैल के एक नाविक की रही, जिसने 45 दिनों के भीतर 30 करोड़ रुपए कमा लिए। खुद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा के बजट सत्र में इस नाविक परिवार की सक्सेस स्टोरी का जिक्र किया।
महाकुंभ खत्म हुआ, तो पिंटू करोड़पतियों की कतार में शामिल
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान प्रयागराज के एक नाविक का जिक्र किया, जिसके पास 130 नावें थीं और जिसने महाकुंभ के दौरान 45 दिनों में 30 करोड़ रुपए कमा लिए। यह नाविक कोई और नहीं बल्कि प्रयागराज के अरैल इलाके के रहने वाले पिंटू महरा हैं। त्रिवेणी संगम के किनारे बसे अरैल गांव के इस नाविक के एक फैसले ने पूरे परिवार की जिंदगी बदल दी। जब महाकुंभ खत्म हुआ, तो पिंटू करोड़पतियों की कतार में शामिल हो गया।
परिवार की महिलाओं ने नाव खरीदने के लिए अपने जेवर बेच दिए...
पिंटू महरा ने बताया कि उसने 2019 के योगी सरकार के दिव्य और भव्य कुम्भ में नाव चलाई थी। उस कुम्भ से ही उसका अनुमान हो गया था कि इस बार के महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की भीड़ आधिक आने वाली है। इसीलिए महाकुम्भ के पहले अपने पूरे परिवार के लिए 70 नावें खरीदी। पहले से उसके सौ से अधिक सदस्यों वाले परिवार में 60 नाव थी। इस तरह इन 130 नावों को उसने महा कुम्भ में उतार दिया जिससे उनके परिवार को इतनी कमाई करा दी कि अब इससे कई पीढ़ियों का जीवन स्तर सुधर जाएगा। इतना ही नहीं पिंटू के परिवार की महिलाओं ने महाकुंभ में नाव खरीदने के लिए अपने जेवर बेच दिए और कुछ को गिरवी भी रख दिया था।