Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 02 Dec, 2020 04:49 PM
देश दुनिया में आर्थिक और शारीरिक मोर्चे पर आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित करने वाला वायरस कोविड-19 मेहनतकश मजदूरों के स्वास्थ्य पर कोई खास असर नहीं डाल सका है। फतेहपुर जिले में कोविड-19 जांच के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ. आफाक अहमद ने बातचीत में...
फतेहपुर: देश दुनिया में आर्थिक और शारीरिक मोर्चे पर आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित करने वाला वायरस कोविड-19 मेहनतकश मजदूरों के स्वास्थ्य पर कोई खास असर नहीं डाल सका है। फतेहपुर जिले में कोविड-19 जांच के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ. आफाक अहमद ने बातचीत में कहा कि जिले में अब तक मिली जांच रिपोर्ट के आधार पर यह निष्कर्ष निकला है कि कम शारीरिक श्रम करने वाले और कार एसी में रहने के आदी लोगों को कोरोना ने खासा नुकसान पहुंचाया है और रिहायशी इलाकों में कोरोना संक्रमित मरीजों की दर 6.15 प्रतिशत आंकी गई है। वहीं मुफलिसी की जीवन बसर करने वाले श्रमिकों की बस्ती में कोरोना संक्रमितों की दर एक फीसदी से भी कम रही है।
डॉ. अहमद ने बताया कि जिले में 29 लाख की रिहायशी आबादी के बीच अब तक 59777 लोगों की कोविड-19 की जांच कराई गई, जिसमें से 54888 सैम्पल के परिणाम सामने आए। इनमें 3381 मरीज कोविड संक्रमित पाए गए। इस लिहाज से संक्रमित मरीज की दर 6.15 प्रतिशत है, जबकि मलिन बस्तियो मे जो कोरोना जांच हुई है उसमे एक प्रतिशत से भी कम का आंकड़ा मिला है। उन्होंने कहा कि मेहनत मजदूरी करने वाले लोगों में खानपान की समुचित व्यवस्था न होने के बावजूद कोरोना संक्रमण बहुत धीमी गति से चल रहा है। इससे साफ होता है कि शारीरिक श्रम से कोरोना को हराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के ढेर सारे प्रचार प्रसार के बावजूद जिले के अधिसंख्य इलाकों में लोग कोरोना के प्रति लापरवाह दिखे वहीं जब पुलिस ने सख्ती की तो लोग इन नियमो का अनुपालन करने लगे।