Edited By Pooja Gill,Updated: 06 Apr, 2025 02:58 PM

अयोध्या: रामनवमी के उत्सव पर रामनगरी एक बार फिर दिव्य प्रकाश में नहाई, जब रामलला का ऐतिहासिक 'सूर्य तिलक' विधिवत रूप से संपन्न हुआ। रामलला के मस्तक पर सूर्य की पहली...
अयोध्या: रामनवमी के उत्सव पर रामनगरी एक बार फिर दिव्य प्रकाश में नहाई, जब रामलला का ऐतिहासिक 'सूर्य तिलक' विधिवत रूप से संपन्न हुआ। रामलला के मस्तक पर सूर्य की पहली किरण जैसे ही पड़ी, सम्पूर्ण वातावरण श्रद्धा, भक्ति और आनंद से सराबोर हो उठा।

यह आयोजन विशेष रूप से सूर्य की किरणों द्वारा रामलला के मुखमंडल पर तिलक के रूप में पड़ने के लिए निर्मित एक अद्भुत वास्तुशिल्पीय प्रणाली के माध्यम से संपन्न हुआ।

वैज्ञानिक और धार्मिक परंपराओं का यह अद्वितीय संगम समस्त विश्व के लिए एक प्रेरणा बन गया है।

भोर की बेला में, जैसे ही सूरज की पहली किरणें रामलला के मंदिर में प्रवेश कर उनके ललाट पर पड़ीं, श्रद्धालुओं की आँखों से अश्रुधारा बह चली। यह दृश्य न केवल आध्यात्मिक था, बल्कि तकनीकी दृष्टिकोण से भी अत्यंत अद्वितीय था।
हजारों श्रद्धालुओं ने इस क्षण का साक्षात्कार किया, और पूरा अयोध्या नगरी ‘जय श्री राम’ के उद्घोष से गूंज उठी।
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस आयोजन की योजना महीनों पहले से बनाना शुरू की थी, और इसका क्रियान्वयन पूर्णतः वैज्ञानिक गणनाओं पर आधारित रहा।

यह सूर्य तिलक न केवल भगवान राम के प्रति आस्था का प्रतीक बना, बल्कि यह दर्शाता है कि जब विज्ञान और श्रद्धा एक साथ चलते हैं, तो इतिहास बनता है।