Edited By Deepika Rajput,Updated: 12 Nov, 2019 12:41 PM
दशकों पुराने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। देशभर में लोगों को काफी लंबे अरसे से फैसले का इंतजार था। रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने वालों की लिस्ट बहुत लंबी है...
गोरखपुरः दशकों पुराने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। देशभर में लोगों को काफी लंबे अरसे से फैसले का इंतजार था। रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने वालों की लिस्ट बहुत लंबी है, जिसमें देवरिया निवासी परदेसी राम का नाम भी जुड़ गया है। परदेसी राम की मंदिर के प्रति समर्पण की कहानी बेहद दिलचस्प है।
पीएसी में सिपाही की नौकरी करने वाले परदेसी की 1988 में प्रयागराज में संत सम्मेलन के दौरान तैनाती थी। रामजन्मभूमि के शिलान्यास की तारीख 9 नवंबर, 1988 को तय हुई, जिसमें हिस्सा लेने के लिए वह बिना छुट्टी लिए बावर्दी अयोध्या पहुंच गए। 30 अक्टूबर, 1990 के मंदिर निर्माण आंदोलन में परदेसी गिरफ्तार भी हुए। बावर्दी आंदोलन में शामिल होने पर उनके खिलाफ पीएसी कमांडर ने राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज करा दिया। उसके बाद परदेसी ने घर छोड़ दिया और आंदोलन में हिस्सा लेने लगे।
6 दिसंबर, 1992 के आंदोलन में उन्होंने बतौर कारसेवक हिस्सा लिया। 1993 में उन पर दर्ज राष्ट्रद्रोह के मुकदमे को साक्ष्य के अभाव में खारिज कर दिया गया। उसके बाद परदेसी ने नौकरी से त्यागपत्र देकर खुद को पूरी तौर पर मंदिर आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया। वहीं राम मंदिर पर फैसला आने के बाद परदेसी ने कहा कि आखिरकार उनका मिशन पूरा हो गया है।