लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले पद्मश्री शरीफ की बिगड़ी तबीयत, बोले- अभी तक नहीं मिला पुरस्कार

Edited By Umakant yadav,Updated: 21 Feb, 2021 01:18 PM

padmashree m who performed the last rites of unclaimed dead sharif

अयोध्या के मोहम्मद शरीफ पांच माह पूर्व बीमार पड़ने तक 20 हजार से अधिक शव का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। उनकी इस निस्वार्थ सेवा के लिए केंद्र सरकार ने दिसंबर 2019 में उन्हें पद्मश्री सम्मान के लिए चुना, हालांकि कोरोना माहामारी के चलते वे अभी तक...

अयोध्या: राम की नगरी अयोध्या में लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करने वाले पद्मश्री समाजसेवी मो. शरीफ की तबीयत खराब हो गई। उन्‍होंने बताया कि मैंने टीवी पर पद्मश्री से नवाजे जाने की खबर सुनी है, लेकिन अब तक पुरस्कार नहीं मिला है। 83 वर्षीय मोहम्मद शरीफ लीवर की बीमारी का सामना कर रहे हैं। मो. शरीफ पांच माह से बीमार हैं, पर गत चार-पांच दिनों से उनकी बीमारी में इजाफा बताया जा रहा है।

बीमार पड़ने तक लावारिस शवों का करते रहे अंतिम संस्कार
बता दें कि मो. शरीफ अब तक 20 हजार से अधिक शव का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। उनकी इस निस्वार्थ सेवा के लिए केंद्र सरकार ने दिसंबर 2019 में उन्हें पद्मश्री सम्मान के लिए चुना, हालांकि कोरोना माहामारी के चलते वे अभी तक पद्मश्री सम्मान से विभूषित नहीं हो सके हैं। वे पांच माह पूर्व बीमार पड़ने तक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करते रहे हैं।

शरीफ का हाल जानने के लिए प्रशंसकों का लगा तांता
दरअसल, लीवर की बीमारी का सामना कर रहे मोहम्मद शरीफ का हाल जानने के लिए उनके खिड़की अली बेग स्थित आवास पर प्रशंसकों का तांता लग गया। वहीं प्रशासन के दूत के रूप में एडीएम सिटी डॉ. वैभव शर्मा ने भी स्वास्थ्य विभाग के अमले के साथ उनका हाल जाना। एडीएम ने बताया कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी और स्वास्थ्य संबंधी हर जरूरत पूरी की जाएगी। उनके साथ पहुंचे डॉ. वीरेंद्र वर्मा ने उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया। डॉ. वर्मा ने बताया कि मो. शरीफ के लीवर में कुछ दिक्कत है और सोमवार को उनका अल्ट्रासाउंड कराया जाएगा। डॉ. वर्मा ने कहा कि उनकी स्थिति कोई गंभीर नहीं है। दवा भिजवा दी गई है।

...तो इसलिए लावारिस लाशों का कर रहे अंतिम संस्‍कार
जानकारी मुताबिक अयोध्या के मोहम्मद शरीफ के चार बेटे थे। 28 वर्ष पूर्व एक सड़क दुर्घटना में सबसे बड़े मो. रईस का निधन हो गया तथा लावारिस की तरह उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। इससे शरीफ के दिल को काफी चोंट पहुंची और तभी से लावारिस लाशों का संस्कार करने लगे। उन्होंने लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार को जीवन का उद्देश्य बना लिया। इस मिशन के प्रति वे इस तरह समर्पित हुए कि अपनी जीविका तक की चिंता नहीं रही। उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और बहुओं-नातियों सहित डेढ़ दर्जन सदस्य हैं।

 

   

 

 

 

 

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