Jhansi: किन्नर समाज को लेकर जागरूकता फैलाने को बुंविवि में हुई एक दिवसीय कार्यशाला

Edited By Mamta Yadav,Updated: 06 Apr, 2023 11:45 PM

one day workshop held in bun to spread awareness about transgender community

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के झांसी (Jhansi) स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (Bundelkhand University) में आज (Today) किन्नर समाज (kinnar society) को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य के साथ आज एक दिवसीय कार्यशाला (One day workshop) का आयोजन...

झांसी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के झांसी (Jhansi) स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (Bundelkhand University) में आज (Today) किन्नर समाज (kinnar society) को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य के साथ आज एक दिवसीय कार्यशाला (One day workshop) का आयोजन किया गया।
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यहां विश्वविद्याल परिसर के गांधी सभागार में जन संचार एवं पत्रकारिता संस्थान तथा नेशनल इंस्टीट्यूट आफ सोशल डिफेंस के संयुक्त तत्वावधान में लैंगिक संवेदनशीलता पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में ट्रांसजेंडर पर्सनंस एक्टीविटी 2019 और सन 2020 के नियमों पर विस्तार से चर्चा हुई। वक्ताओं ने युवाओं का आह्वान किया कि वे किन्नर समाज के लोगों को उनके हक हुकूक के बारे में जागरूक करें। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कला संकाय अधिष्ठाता प्रो मुन्ना तिवारी ने कहा कि ट्रांसजेंडर के प्रति दुर्भावना मानवता पर कलंक है। उन्होंने हिंदी नाटक असुर पराजय का उदाहरण देते हुए बताया कैसे किन्नर समाज की रचना की गई। समय के साथ चीजें बदलती गईं। उन्होंने अर्जुन के वृहन्नला रूप ग्रहण और उसके महत्व का भी उल्लेख किया। बाद में किन्नरों की दशा बिगड़ती गई। सोच संकुचित होने के कारण समाज में संकट गहरा रहे हैं। उन्होंने द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की रचना ‘यदि होता किन्नर नरेश’ भी सुनाई।
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कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि यूपीआरटीओयू के क्षेत्रीय केंद्र की निदेशक डा रेखा त्रिपाठी ने कहा कि सभी युवाओं को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें समाज में व्याप्त विसंगतियों को दूर करना है। राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने हर ट्रांसजेंडर को मुफ्त शिक्षा देने की व्यवस्था की है। अगर ऐसे लोग संपर्क में आएं तो उनकी मदद करें। सभी शपथ लें कि किन्नरों को उनके हक हुकूक के बारे में जागरूक करेंगे। उनकी हरसंभव मदद करेंगे। समाज कार्य संस्थान के डा मुहम्मद नईम ने कहा कि ट्रांसजेंडर की स्थितियों को सुधारने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इग्नू ने ट्रांसजेंडर की मुफ्त शिक्षा की खातिर उचित व्यवस्था की है। किन्नर समाज के संवेदीकरण के लिए बड़ी संजीदगी से काम करने की जरूरत है। उन्होंने महेंद्र भीष्म की पुस्तक में पायल हूं कि भी उल्लेख किया। उन्होंने किन्नर समुदाय के सशक्तिकरण के सभी से जागरूकता अभियान चलाने पर जोर दिया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि किन्नर समाज से मोंठ नगर पंचायत की पूर्व अध्यक्ष दीदी शकीला ने कहा “ मैं 40 साल से मोंठ में गरीबों,मजलूमों और कमजोर लोगों की सेवा में लगी रहती हूं। मैंने स्कूल भी खोला था। लोगों ने प्यार और स्नेह देकर मोंठ नगर पंचायत का चेयरमैन बनाया।” इस दौरान उन्होंने किन्नर होने के कारण अपने जीवन में आयी बड़ी परेशानियों को मार्मिक ढंग से उपस्थित लोगों के समक्ष रखा और कहा कि जब किसी परिवार में ट्रांसजेंडर पैदा होता है तो लोग झिझकते हैं। सबको बताने में संकोच करते हैं। बदनामी से डरते हैं। अब सब लोगों में बस पैसे की चाहत है। उन्होंने लोगों से किन्नर समाज को भी इंसानों की तरह मानकर व्यवहार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि किन्नर शब्द को वह वरदान मानती हैं।

वरिष्ठ महिला पत्रकार और एक न्यज चैनल की संवाददाता सोनिया पाण्डे ने कहा कि ट्रांसजेंडर शब्द पर समाज की सोच बड़ी संकुचित है। हर आदमी किसी बच्चे के जन्म पर यह जान लेना चाहता है कि बच्चे का लिंग क्या है। बेटी या बेटा। समाज में लिंग को लेकर इतना कौतुहल है इसी कारण तृतीय लिंग के लिए इतनी उपेक्षा है क्योंकि दो लिंग के अतिरिक्त और कुछ मानने या स्वीकारने को समाज तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर आप अपने लिंग पर गर्व करते हैं तो वहीं आप दूसरों के साथ अन्याय करते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर भी आम इंसान हैं। कुछ असामान्य होने के कारण उनकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। उनके साथ सदैव समता का व्यवहार करने और सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। उनमें प्रतिभा की कमी नहीं होती है। यदि उन्हें सही परिवेश मिले तो वे भी ऊंचे मुकाम हासिल करते हैं।

ललित कला संस्थान के गजेंद्र सिंह ने कहा कि ट्रांसजेंडर से संबंधित कार्यक्रम कम होते हैं। मैंने उनकी समस्याओं को समझने के लिए ट्रांसजेंडर पर चित्रों की प्रदर्शनी लगाई। उन्होंने उनके प्रति समाज के संकुचित सोच को रेखांकित किया। शुरुआत में पत्रकारिता शिक्षक उमेश शुक्ल ने विषय का प्रवर्तन किया। उन्होंने हर ट्रांसजेंडर के साथ समानता का व्यवहार करने पर जोर दिया। इस कार्यक्रम में डॉ काव्या दुबे, डॉ सुनीता, डॉ राघवेंद्र दीक्षित, डॉ उमेश कुमार, अभिषेक कुमार, डॉ ब्रजेश सिंह परिहार, अंकिता शर्मा, डॉ संतोष कुमार, अतीत विजय, देवेंद्र, विजया, ऋतिक पटेल समेत अनेक लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ कौशल त्रिपाठी ने किया। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत भी किया।

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