अब भारत की बात अंतरराष्ट्रीय मंच पर सुनी जा रही है: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Edited By Pooja Gill,Updated: 14 Mar, 2024 09:17 AM

now india s voice is being heard on

लखनऊ: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की बात अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर सुनी जा रही है। उन्होंने यूक्रेन से भारतीय मेडिकल विद्यार्थियों को सकुशल निकाले जाने की घटना का भी जिक्र किया जिसके लिए रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध कुछ समय के लिए रोक दिया...

लखनऊ: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की बात अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर सुनी जा रही है। उन्होंने यूक्रेन से भारतीय मेडिकल विद्यार्थियों को सकुशल निकाले जाने की घटना का भी जिक्र किया जिसके लिए रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध कुछ समय के लिए रोक दिया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मित्र स्वर्गीय टी एन मिश्रा के नाम पर एक चौराहे का उद्घाटन करने के बाद अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, “पहले की तुलना में अब, जब हम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाते हैं, तो हमें सुना जाता है। मौजूदा शासन में दुनियाभर में इस देश की प्रतिष्ठा बढ़ी है।”

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रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि जब युद्ध शुरू हुआ, तब हजारों विद्यार्थियों के माता-पिता ने यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे अपने बच्चों को सकुशल वापस लाने की आवाज उठानी शुरू की। उन्होंने कहा, “यह कठिन स्थिति थी। मिसाइलें दागी जा रही थीं, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन से बात की तथा उनकी अपील पर साढ़े चार घंटे के लिए युद्ध रोक दिया गया एवं हमारे विद्यार्थियों को वहां से निकाल लिया गया।” राजनाथ सिंह ने कहा कि इस देश की अर्थव्यवस्था का आकार 2027 तक विश्व में शीर्ष तीन देशों में से एक होगा और भारत भविष्य में एक आर्थिक महाशक्ति भी बनेगा।

यह भी पढ़ेंः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्कूली बच्चों को सुरक्षित वातावरण देने में विफलता पर जताया असंतोष
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पूरे उत्तर प्रदेश में स्कूलों में बच्चों को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने के उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन करने में विफल रहने पर राज्य सरकार के प्रति असंतोष जाहिर किया है। न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति बी.आर. सिंह की पीठ ने कहा कि राज्य के विभिन्न विभागों के बीच हुए पत्राचारों के अवलोकन से यह साबित होता है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा 14 अगस्त 2017 को जारी किए गए निर्देशों को लागू करने में जमीनी स्तर पर कोई प्रयास नहीं किया गया और न ही पिछले पांच साल से अधिक समय से कोई कवायद की गई।

 

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