अब पीड़ित को उसकी चौखट तक FIR की कॉपी पहुंचा रही गाजियाबाद पुलिस, नहीं काटने पड़ेंगे थाने के चक्कर

Edited By Mamta Yadav,Updated: 24 Apr, 2025 03:43 PM

now ghaziabad police will deliver the copy of fir to the victim at his doorstep

जब कोई किसी अपराध का शिकार होता है तो पुलिस के पास जाकर एफआईआर लिखवाई जाती है। लेकिन फिर एफआईआर की कॉपी लेने के लिए कभी थाने के चक्कर तो कभी वेबसाइट खोलकर एफआईआर कॉपी ढूंढने की जद्दोजहद करनी पड़ती है, तो इससे बहुत परेशानी होती है। इसी बीच उत्तर...

Ghaziabad News, (आकाश गर्ग): जब कोई किसी अपराध का शिकार होता है तो पुलिस के पास जाकर एफआईआर लिखवाई जाती है। लेकिन फिर एफआईआर की कॉपी लेने के लिए कभी थाने के चक्कर तो कभी वेबसाइट खोलकर एफआईआर कॉपी ढूंढने की जद्दोजहद करनी पड़ती है, तो इससे बहुत परेशानी होती है। इसी बीच उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की पुलिस कुछ ऐसा कर रही है जिससे ये परेशानी अब नहीं उठानी पड़ेगी। पुलिस अब पीड़ित के घर एफआईआर की कॉपी देने जा रही है। यूपी पुलिस को इस काम के लिए खूब सराहा जा रहा है।
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बता दें कि गाजियाबाद में तैनात हुए नए पुलिस कमिश्नर जे रविंद्र गोड़ के आदेश के बाद शनिवार से यह नियम लागू हुआ है। अब किसी भी वादी को थाने या चौकी पर चक्कर काटने की जरूरत नहीं है बल्कि उसके घर पर उसको FIR की कॉपी मिलेगी। गाजियाबाद के थाना लिंक रोड क्षेत्र के सूर्य नगर के रहने वाली चेतना मित्तल के घर से उनकी ज्यूलरी चोरी हो गई थी। चेतना के मुताबिक वह अपनी शिकायत दर्ज करवाने थाने गई तो थाने से उन्हें आश्वासन मिला कि आपका मुकदमा दर्ज होने के बाद आपको कॉपी घर पर मिलेगी। उनके मुकदमे के इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर और एक सिपाही उनके घर पर खुद FIR की कॉपी देने गए। चेतना मित्तल इस पहल से खुश है।
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जिले में नए कमिश्नर के चार्ज लेते ही कई क्षेत्रों में बदलाव किए गए हैं। चाहे वो बीट प्रणाली हो या फिर सड़को पर लगने वाले अतिक्रमण के खिलाफ अभियान की शुरुआत हो। डीसीपी सिटी राजेश कुमार ने बताया कि सड़क वाहन चलाने के लिए हैं लेकिन अतिक्रमण कर सड़कों पर जाम की स्थिति हो जाती है। अगर बात करें साइबर अपराध पर अंकुश लगाने की तो साइबर अपराध को रोकने और पीड़ितों का पैसा वापस दिलवाने पर भी युद्ध स्तर से काम किया जा रहा है।
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मुकदमा दर्ज करवाने वाले वादी इस पहल से खुश है। लेकिन इसको मुकम्मल अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अब खाकी के कंधों पर है। इसके लिए FIR डिलीवर करने वाला कांस्टेबल या दरोगा अपने थाना अध्यक्ष को इस बारे में जानकारी देता है। थाना अध्यक्ष उन्हें समझाता है की डिलीवरी देते समय व्यवहार मृद रखना है साथ ही पीड़ित की अगर कोई शंका हो तो उसका निस्तारण करना है।
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